सिटी पोस्ट लाइव : बहुत जल्द नीतीश कैबिनेट का विस्तार होने वाला है.आरजेडी में कानून मंत्री से गन्ना मंत्री बने कार्तिक कुमार के इस्तीफे और आरजेडी के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह के पुत्र और विवादित बयानों से सुर्खिया में चल रहे कृषि मंत्री सुधाकर सिंह के इस्तीफे से सीट खाली हुई है.इस विस्तार में RJD से दो और कांग्रेस से दो और विधायकों को जगह मिलने की उम्मीद है..आरजेडी में रामा सिंह की पत्नी वीणा देवी मंत्री हो सकती हैं. अनंत सिंह की पत्नी नीलम देवी का मंत्रिमंडल में शामिल होना तय है..कार्तिक को कोर्ट से राहत मिल गई है. लेकिन यह बाहुबली अनंत सिंह को तय करना है कि वे अपने रणनीतिकार कार्तिक कुमार को फिर से मंत्री बनवाते हैं या अपनी पत्नी नीलम देवी को.
लेकिन मंत्री बनने के लिए अभी से लॉबिंग तेज हो गई है.कांग्रेस के 19 विधायक हैं और अब तक कांग्रेस के दो विधायकों आफाक आलम, मुरारी गौतम को मंत्री बनाया जा चुका है. एक और मंत्री पद देने की बात उस समय ही की गई थी, लेकिन कांग्रेस की मांग दो और मंत्री पद की रही है. नए प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश प्रसाद सिंह भी दो और मंत्री पद दिए जाने की मांग सार्वजनिक रूप से कर चुके हैं, लेकिन दोनों में से एक का मंत्री बनना तय माना जाता है.
कांग्रेस में एक दलित नेता मुरारी गौतम और एक मुसलमान नेता आफाक आलम को मंत्री बनाया जा चुका है. कहा जाता है कि एक के पैरवीकार तारिक अनवर थे और दूसरे के मीरा कुमार.अजीत शर्मा को विधायक दल के नेता से हटाने की चर्चा तेज है. वे मंत्री पद की रेस में फिर से हैं. अजीत शर्मा के सामने यह ऑप्शन होगा कि विधायक दल के नेता रहें या मंत्री बनें तो वे मंत्री बनना ही आगे पसंद करेंगे. लेकिन कांग्रेस के भूमिहार नेता अखिलेश प्रसाद सिंह को प्रदेश कांग्रेस का नया अध्यक्ष बना दिया गया है तो अब मंत्री पद किसी भूमिहार को दिया जाएगा इसमें संदेह है. हालांकि अजीत शर्मा की नजदीकी नीतीश कुमार से रही है.
दो मंत्री पद के लिए कांग्रेस में खास तौर से ब्राह्मण और राजपूत नेताओं की जमात लाइजनिंग में आगे है. डॉ. मदन मोहन झा, प्रेमचंद मिश्रा, विजय शंकर दुबे और मुन्ना तिवारी ऐसे नेताओं के नाम हैं जो ब्राह्मण हैं.राजपूत नेताओं में समीर कुमार सिंह और आनंद शंकर के नाम आगे चल रहे हैं. प्रतिमा दास दलित से आती हैं, लेकिन उनकी दावेदारी कमजोर इसलिए हो जा रही है कि एक दलित को पहले मंत्री पद दिया जा चुका है.पिछड़ी जाति से क्षत्रपति यादव का नाम काफी चर्चा में है. वे लालू प्रसाद और तेजस्वी यादव के काफी निकट हैं. लालू प्रसाद का प्रभाव कांग्रेस में कमा नहीं है इसलिए अगर लालू प्रसाद ने मन से क्षत्रपति यादव की पैरवी कर दी तो उनका मंत्री बनना तय है.