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सीमांचल में क्या करनेवाले हैं ओवैसी, पढ़िए इनसाइड स्टोरी.

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सिटी पोस्ट लाइव : 2024 लोकसभा चुनाव को लेकर बिहार में सियासी हलचल बढ़ गई है.सिमांचल में अमित शाह और महागठबंधन की रैली के बाद अब एआईएमआईएम प्रमुख और सांसद असदुद्दीन ओवैसी दो दिवसीय बिहार दौरे पर सिमांचल पहुँच रहे हैं. अगले दो दिनों तक सीमांचल इलाके के अलग-अलग जगहों पर विभिन्न कार्यक्रमों में हिस्सा लेंगे. ओवैसी की नजर चार जिलों की 4 लोकसभा और 24 विधानसभा पर है.

ओवैसी की इस यात्रा से बिहार की खासकर सीमांचल की सियासत गर्म होने वाली है. यह तय माना जा रहा है कि ओवैसी के निशाने पर सत्ता पक्ष तो रहेगा ही, विपक्ष भी उनके निशाने पर होगा ओवैसी 18 मार्च को अमौर के खाड़ी में जनसभा को संबोधित करेंगे और उसके बाद कोचाधामन में सभा को संबोधित करेंगे, जबकि अगले दिन 19 मार्च को लोहागाड़ा में लोगों से मुलाकात करेंगे और खरखरी भेरभेरी में लोगों से मुखातिब होंगे.

असदुद्दीन ओवैसी को चार लोकसभा और 24 विधानसभा सीटों पर नजर है. एक तरह से कहा जाए तो AIMIM को चार जिलों पर नजर है, जहां 2024 में खेला हो सकता है. ये जिले हैं अररिया, किशनगंज, पूर्णिया और कटिहार। हैं.इन सभी जिलों में मुस्लिम वोटर्स की सख्या सबसे अधिक है. इसे आरजेडी का गढ़ माना जाता था. लेकिन 2020 विधानसभा चुनाव में ओवैसी की पार्टी ने यहां अपना झंडा गाड़ा. पांच सीटों पर जीत हासिल करके आरजेडी को झटका दे दिया. कहा जाता है कि अगर यहां ओवैसी की पार्टी नहीं होती तो तेजस्वी को सीएम बनने से कोई नहीं रोक पाता.

बिहार में प्रदेश अध्यक्ष अख्तरूल ईमान को छोड़कर सभी चार विधायकों को आरजेडी ने अपने साथ मिला लिया.सीमांचल में ओवैसी के पांव पसारने और मजबूत होने से सबसे ज्यादा नुकसान आरजेडी को ही होगा. मुस्लिम बहुल सीमांचल इलाके में ओवैसी की पार्टी खुद को मजबूत करने में जुटी है.प्रदेश अध्यक्ष अख्तरुल ईमान कहते हैं कि तेजस्वी यादव ने सरकार गठन से पूर्व सीमांचल के विकास को लेकर आयोग के गठन की बात की थी, लेकिन उसपर कोई चर्चा आज तक नहीं की गयी. उन्होंने कहा कि ये लोग सीमांचल के लोगों को मजदूर और गुलाम बना कर रखना चाहते हैं.

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