क्या सवालों से घबराते हैं पीएम मोदी? पत्रकार को बीच सफर में हेलिकाॅप्टर से उतारने की कहानी
सिटी पोस्ट लाइवः क्या वाकई प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को सवालों से डर लगता है? कितना दिलचस्प है कि पीएम मोदी के सवालों से डरने और घबराने वाला यह सवाल अब लगातार इसलिए भी उठने लगा है जब साल के पहले दिन उन्होंने एक न्यूज एजेंसी से इंटरव्यू के दौरान कई सवालों के जवाब दिये हैं। दरअसल सवाल इस इंटरव्यू पर भी हैं। कहा जा रहा है कि पीएम मोदी से सवाल तो ठीक पूछे गये लेकिन उन्होंने बड़े घुमावदार अंदाज में इसका जवाब दिया, कई सवालों को वे या तो खुबसूरती से टाल गये या फिर घुमाफिरा कर उसका जवाब दिया। यह भी कहा जा रहा है कि पीएम मोदी से इस इंटरव्यू में काउंटर सवाल नहीं किये गये। बीजेपी के बागी शत्रुधन सिन्हा ने पीएम मोदी से सवाल पूछा कि क्या वे रविश कुमार से डरते हैं, उनके सवालों के जवाब क्यों नहीं देते। दरअसल प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर यह आरोप बड़ा आम रहा है कि प्रधानमंत्री बनने के बाद उन्होंने कोई प्रेस काॅन्फ्रेंस नहीं किया, अगर कभी इंटरव्यू दिया तो उन पत्रकारों को दिया जिन्हें वे पसंद करते हैं। कम बोलने पर अक्सर राजनीतिक विरोधियों के निशाने पर रहे भारत के पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने भी पीएम मोदी पर तंज कसते हुए कहा था कि भले मैं कम बोलता हूं लेकिन मैं सवालों से कभी नहीं डरा। हर विदेश दौरों के बाद पत्रकारों के सवालों के जवाब दिये। तो यह सवाल भी इसलिए है कि क्या वाकई पीएम मोदी सवालों से डरते हैं?
दूसरा सवाल यह भी है कि मीडिया, सवालों और इंटरव्यू को लेकर पीएम का मिजाज, उनका स्वभाव हमेशा से वही रहा है? दरअसल कुछ तथ्य और कुछ कहानियां हैं जो यह बताती है कि अक्सर चुभने वाले सवालों पर पीएम मोदी असहज हो जाया करते हैं, यह असहजता उनके स्वभाव में शामिल रही है बाकि सच्चाई तो पीएम मोदी हीं जाने।इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के साथ तीन इंटरव्यू में नरेंद्र मोदी की 2002 के गुजरात दंगों को लेकर असहजता सामने आ चुकी है। शायद यही वजह है कि मोदी इलेक्ट्रॉनिक मीडिया को इंटरव्यू देने से बचते हैं। कई साल पहले 2007 में पत्रकार करन थापर के साथ इंटरव्यू में दंगों से जुड़े सवाल पूछे जाने पर मोदी पानी मांगने लगे थे और पानी पीकर इंटरव्यू को बीच में छोड़ दिया था। 2009 में एक पत्रकार ने जब उनसे इन्हीं मुद्दों पर तीखे सवाल पूछे तो मोदी एक सभा से लौटते समय उस पत्रकार को वहीं छोड़ दिया जबकि जाते समय मोदी पत्रकार को अपने साथ ले गए थे। 2012 में गुजरात विधानसभा चुनाव के दौरान वरिष्ठ टीवी पत्रकार राजदीप ने जब उनसे 2002 के दंगों को लेकर सवाल पूछा तो उन्होंने जवाब देने के बजाय दूसरी तरफ देखना मुनासिब समझा।
पीएम मोदी से जुड़े इंटरव्यू का एक और दिलचस्प किस्सा है जिसका जिसका जिक्र वरिष्ठ टीवी पत्रकार विजय द्विवेदी ने अटल बिहारी वाजपेयी पर आधारित अपनी किताब ‘हार’ नहीं मानूंगा’ में किया है। किताब के 270 पन्ने के अंतिम पारे में विजय लिखते हैं कि-‘ 2009 के लोकसभा चुनावों से पहले अप्रैल में चुनाव प्रचार के दौरान जब मैं एक हेलीकाॅप्टर में मोदी का इंटरव्यू कर रहा था तो मैंने सवाल पूछा, ‘गुजरात के मुख्यमंत्री के तौर पर क्या आप दंगो के लिए माफी मांगेगे?’’’ उन्होंने इंटरव्यू बीच में हीं रोक दिया। मुझे और मेरे कैमरामैन को भी आधे रास्ते में हेलीकाॅप्टर से उतार दिया।’ तो यह तमाम कहानियां हैं जो पीएम मोदी के इंटरव्यू, तीखे सवालों पर असहज हो जाने के उनके स्वभाव, को बताती हैं।