सिटी पोस्ट लाइव : भारतीय राजनीति के शिखर पुरुष पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी रजनीति को जाति-मजहब से ऊपर उठाना चाहते थे. जाति के आधार पर हो रही राजनीति उन्हें बराबर खटकती थी. बिहार में इसको लेकर उन्होंने बिहार के एक चुनावी सभा में लोगों से भी पूछ दिया- क्या मुझे भी अपनी जाति बतानी होगी?
1969 में भारतीय जनसंघ के जिला सचिव रहे और 1985 में भाजपा के टिकट से समस्तीपुर विधानसभा से चुनाव लड़नेवाले भाग्य नारायण राय एक संस्मरण सुनात हुए कहते हैं कि 6 जनवरी 1974 को अटल बिहारी वाजपेयी का समस्तीपुर में आगमन हुआ. वाजपेयी जी स्टेशन से सटे मोहल्ला बंगाली टोला में रणधीर सिंह के यहां रुके और वहां से पुलिस हिरासत में लिए गए भाग्य नारायण राय और कपिल देव शर्मा से मिलने स्टेशन पहुंचे. उस क्षण को याद करते हुए राय बताते हैं कि उन्होंने बस इतना कहा था, ‘ घबराना नहीं है, संयम के साथ पुलिस वालों के सवाल के जवाब कम शब्दों में देना है.’
साल 1985 में भारतीय जनता पार्टी के टिकट पर भाग्य नारायण राय समस्तीपुर विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ रहे थे. उस दौरान चुनाव प्रचार करने के लिए पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी समस्तीपुर के किंग एडवर्ड इंटर कॉलेज के मैदान में आयोजित सभा को संबोधित करने पहुंचे थे. जिस वक्त अटलजी सभा स्थल पर पहुंचे थे वहां प्रत्याशी होने के नाते स्थानीय समस्याओं को लेकर भाग्य नारायण राय का भाषण चल रहा था. अटलजी के मंच पर पहुंचते ही भाजपा के तत्कालीन जिला अध्यक्ष अखिलेश्वर प्रसाद सिंह ने जब भाषण रोकना चाहा तो उन्होंने बीच में हस्तक्षेप करते हुए स्थानीय मुद्दे के बारे में शुरू से बोलने को कहा. इसके बाद लगभग 10 मिनट तक स्थानीय मुद्दे पर उन्होंने भाषण दिया.
राय बताते हैं कि उस वक्त जातीय राजनीति बिहार में चरम पर थी. अटलजी के भाषण का जिक्र करते हुए वह बताते हैं कि उन्होंने सभा स्थल पर पहुंचे लोगों से पूछा था कि क्या मुझे भी अपनी जाति बतानी होगी कि मैं जाति से ब्राह्मण हूं. उन्होंने उस वक्त मतदाताओं से जातीय बंधन से ऊपर उठकर मतदान करने की अपील की थी. अटलजी के जाने के गम के बीच भाग्य नारायण राय की आंखों से आंसुओं की धारा बहने लगी. उन्होंने कहा कि एक दिन तो सबको ऊपर जाना है. लोग मरते हैं और कुछ दिन बाद लोग भूल भी जाते हैं. लेकिन अटल जी एक ऐसे सख्सियत थे जिन्हें युगों युगों तक भुलाया नहीं जा सकेगा.