सिटी पोस्ट लाइव :बिहार में शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर यादव के रामचरित मानस पर विवादित टिपण्णी को लेकर सियासत गरमाई हुई है.JDU और RJD के बीच घमाशान जारी है.इस बीच उपेन्द्र कुशवाहा ने बिहार में महाराष्ट्र की तरह बड़े खेल की तैयारी का संकेत दिया है. बिहार में मचे सियासी घमासान और पार्टी में अपनी उपेक्षा से आहत उपेंद्र कुशवाहा JDU छोड़ने की लग रही अटकलों के बीच सोमवार को दिल्ली पहुंच गये है. उनके लोगों के अनुसार वे रूटीन हेल्थ चेकअप के लिए गये हैं, लेकिन सूत्रों के अनुसार बीजेपी के आला नेताओं से उनकी मुलाकात होनी है.
उपेन्द्र कुशवाहा अपने राजनीतिक करियर में लोकदल, जेडीयू, बीजेपी, राष्ट्रीय समता पार्टी और राष्ट्रीय लोक समता पार्टी जैसे राजनीतिक प्लेटफार्म पर पलट-पलट कर खेलते रहे हैं. 2019 के बाद अपनी डूबती जा रही नैया को पार लगाने के लिए उन्होंने जेडीयू के साथ फिर जाने का जोखिम तो उठाया, लेकिन उन्हें यहाँ भी कुछ ख़ास नहीं मिला.उन्हें एक अदद एमएलसी और जेडीयू संसदीय बोर्ड के चेयरमैन का झुनझुना नीतीश कुमार ने थमा दिया. उम्मीद पाले बैठे थे कि एक न एक दिन अनुकूल अवसर आयेगा. लेकिन नीतीश कुमार ने ये कहकर कि अब JDU से कोई मंत्री नहीं बनेगा , उनके मंसूबे पर कुआं भर पानी फेर दिया है. कुशवाहा को ये बात अब समझ में आ गई है कि अब वे डिप्टी सीएम नहीं बन पायेंगे.
उपेंद्र कुशवाहा पार्टी में अपनी नाराजगी का लगातार इजहार करते रहे हैं. नालंदा की सभा में जब नीतीश ने कहा कि तेजस्वी की अगुआई में ही 2025 का विधानसभा चुनाव होगा तो उपेंद्र कुशवाहा ने उस पर आपत्ति जतायी. उन्होंने अपने नेता को सलाह दी कि अभी 2024 प्राथमिकता में रहना चाहिए, 2025 तो दूर की बात है. ऐसा इसलिए उन्हें कहना पड़ा, क्योंकि उन्होंने खुद को नीतीश कुमार का राजनीतिक उत्तराधिकारी मान लिया था. कुशवाहा ने दूसरा बयान दिया कि पार्टी लगातार कमजोर हो रही है. उनका तीसरा बयान सुधाकर सिंह के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग को लेकर तेजस्वी यादव को लिखे पत्र के रूप में सामने आया. इस बयान से उन्होंने नीतीश के प्रति जितनी वफादारी दिखायी, उतनी ही बड़ी खायी नीतीश के लिए खोद दी.
कुशवाहा ने चौथा बयान शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर की टिप्पणी के खिलाफ दिया. कहा- चंद्रशेखर के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए. आरजेडी के नेता बीजेपी के एजेंडे पर चल रहे हैं. चंद्रशेखर के बयान से बीजेपी को फायदा होगा.अपने पांचवे बयान में उन्होंने कहा कि अपने परिवार के फायदे के लिए तेजस्वी यादव ने बीजेपी से मिलीभगत कर ली है. जाहिर है कि इस बयान के बाद कुशवाहा के खिलाफ कार्रवाई का दबाव आरजेडी की ओर से सीएम नीतीश पर पडेगा ही. यानी यहां भी कुशवाहा ने नीतीश के सामने गठबंधन धर्म के निर्वाह में परेशानी खड़ी कर दी.
उपेंद्र कुशवाहा ने अब तक अपने बयानों से जो हालात पैदा किये हैं, उससे निपटना RJD और JDU के लिए आसान नहीं होगा. एक दूसरे के प्रति अविश्वास और कटुता का भाव तो कुशवाहा ने पैदा कर ही दिया है. नीतीश अगर महागठबंधन से गुस्से में अलग होते हैं तो कहाँ जायेगें ,RJD को विपक्ष में बैठने की आदत पड़ गई है. विपक्ष में अपनी पहचान स्थापित करने के लिए उन्होंने महागठबंधन का साथ तो लिया, लेकिन विपक्ष की गोलबंदी-खेमेबंदी के कारण उन्हें निराशा ही हाथ लगी.अगर वो RJD को छोड़ते हैं तो उन्हें बीजेपी का हाथ ही पकड़ना पड़ेगा. कुशवाहा महागठबंधन को अलविदा कहें न कहें, उनकी पार्टी जेडीयू बड़े साथी की नाराजगी से बचने के लिए कुशवाहा की कुर्बानी देने से भी नहीं हिचकेगी. कुशवाहा इससे अनजान नहीं हैं. आरजेडी के साथ जेडीयू के जाने पर पार्टी के जो नेता घुटन महसूस कर रहे हैं, वे भी कुशवाहा के साथी हो सकते हैं.