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रेल निजीकरण के अफ़वाह को लेकर बिहार में बवाल.

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रेल निजीकरण के अफ़वाह को लेकर बिहार में बवाल.

सिटी पोस्ट लाइव : पिछले कुछ दिनों से रेल, भारतीय पेट्रोलियम और बीएसएनएल के निजीकरण को लेकर अफवाह तेजी से देश में फ़ैल रहा है. हालांकि बीएसएनएल को तो सरकार ने 15000 करोड़ पॅकेज दे  दिया है लेकिन अभी भी रेलवे के निजीकरण का अफवाह जोरों पर है. इस अफवाह को लेकर बिहार में बवाल मचा हुआ है. एशिया के दूसरे सबसे बड़े रेल नेटवर्क और एकल सरकारी स्वामित्व वाले विश्व के चौथे सबसे बड़े रेल नेटवर्क भारतीय रेल के निजीकरण की चर्चा अब बवाल का रूप लेती जा रही है.

शुरू में जब इसको लेकर खबरें बनीं कि रेल मंत्रालय ने 50 रेलवे स्टेशनों और 150 ट्रेनों के निजीकरण के लिए एक कमेटी बनायी गई तब केंद्रीय रेल मंत्री पीयूष गोयल को बयान जारी करके कहना पड़ा कि “सरकार रेलवे का निजीकरण नहीं करने जा रही है, बल्कि निवेश लाने के लक्ष्य से पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप पर विचार कर रही है.लेकिन अब ऐसा लगता है कि रेल मंत्री का यह बयान लोगों में सरकार के फैसले के प्रति विश्वास जगाने के लिए नाकाफी है.

वैसे तो निजीकरण के ख़िलाफ़ रेल यूनियनों, राजनीतिक पार्टियों और छात्र संगठनों द्वारा पिछले कई दिनों से विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं.लेकिन शुक्रवार को बिहार के कई शहरों पटना, आरा, सासाराम, नवादा, औरंगाबाद, समस्तीपुर आदि में जिस तरह हज़ारों छात्रों-युवाओं ने उग्र प्रदर्शन किया वैसा पहले नहीं हुआ था. सासाराम रेलवे स्टेशन पर जुटे हजारों छात्रों की भीड़ इतनी उग्र हो गई कि पुलिस को लाठीचार्ज करना पड़ा, आंसू गैस के गोले छोड़ने पड़े, लाखों रुपये की रेलवे की संपति का नुकसान हुआ, 18 छात्रों को गिरफ्तार करके जेल में बंद करना पड़ा और बाकियों की तलाश के लिए एसआईटी छापेमारी कर रही है.

रेलवे के निजीकरण और उसके कारण सरकारी नौकरियों के खत्म होने की बात पर छात्रों का गुस्सा था. पुलिस का कहना है कि व्हाट्सऐप, फेसबुक और सोशल मीडिया के अन्य माध्यमों के ज़रिए छात्र इकट्ठे हुए थे.रोहतास के एसपी सत्यवीर सिंह के अनुसार छात्रों का कोई नेता नहीं था. प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वाले छात्र थे. सभी सोशल मीडिया से जुड़ कर आए थे. मगर फिर भी छात्र मानने को तैयार नहीं थे. हमारी ओर से बेकाबू भीड़ को नियंत्रित करने के लिए कार्रवाई की गई. उनकी तरफ से पथराव होने लगा था. कई पुलिसकर्मियों को चोटें भी आयी हैं. अगर कार्रवाई नहीं की जाती तो वे ट्रेनों में आग लगाने पर उतारू थे. रेलवे को करोड़ों का नुकसान होता.

पुलिस प्रदर्शन के वीडियो के आधार पर बाकी छात्रों की तलाश कर रही है. तस्वीरों और वीडियो में देखा जा सकता है कि प्रदर्शनकारियों की संख्या हजारों में थी.हाथों में विरोध से भरे स्लोगन लिखी तख्तियां लेकर और ‘रेलवे का निजीकरण बंद करो’ के नारे लगाते हुए उन्होंने पूरा स्टेशन परिसर अपने क़ब्जे में कर लिया था.करीब 10 घंटे तक सासाराम से गुजरने वाली ट्रेनों का परिचालन बंद रहा.रेल प्रशासन का कहना है कि निजीकरण की बातें अफवाहें हैं. मुग़लसराय रेल मंडल के डीआरएम किशोर कुमार ने बीबीसी को बताया कि पिछले दो-तीन दिनों से सोशल मीडिया में निजीकरण की झूठी बात से जुड़े पोस्ट वायरल हो रहे थे.

रेल प्रशासन ने संज्ञान लेते हुए सोशल मीडिया पर इनका खंडन भी किया है.किशोर कुमार ने सिटी पोस्ट लाइव से कहा कि ये प्रदर्शन सोशल मीडिया पर फैलायी गयी अफवाहों से उग्र हो गया. हमलोगों ने कल ही उनका खंडन कर दिया था. आज भी हमने लोगों से यही अपील की है कि वे ऐसी अफवाहों पर यकीन न करें.

सरकार और रेलवे लाख सफाई दे छात्र भरोसा करने को तैयार नहीं हैं. उनका कहना है कि अगर निजीकरण की बात अफवाह है तो रेलवे में अचानक से नई सरकारी नौकरियों का आना क्यों रुक गया है? और सरकार खुलकर क्यों नहीं बताती कि जिस पीपीपी मॉडल पर रेलवे को चलाने की बात हो रही है, वो जमीन पर कैसे लागू होगा? उसमें प्राइवेट सेक्टर की भागीदारी कितनी होगी?

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