सिटी पोस्ट लाइव :बिहार की दो विधान सभा सीटों के लिए उप-चुनाव हो रहा है.ये दोनों ही सीटें बेहद खास हो गई हैं.एक सीट मोकामा अनंत सिंह की वजह से ख़ास है तो दूसरी सीट गोपालगंज पूर्व सांसद लालू यादव के हाई प्रोफाइल साले साधू यादव की वजह से चर्चा में है.उनकी पत्नी यहाँ से चुनाव लड़ रही हैं.गोपालगंज में एक तरफ जहां महागठबंधन की 7 पार्टियों ने मिलकर आरजेडी के कैंडिडेट को मैदान में उतारा है तो दूसरी तरफ भाजपा ने यहां से दिवंगत विधायक सुभाष सिंह की पत्नी कुसुम देवी पर दांव लगाया है . साधु यादव ने अपनी पत्नी को मैदान में उतारकर चुनाव को दिलचस्प बना दिया है.
साधू यादव ने तेजस्वी यादव पर जमकर निशाना साधा है.उन्होंने कहा- वे ज्यादा अहंकार और घमंड में नहीं रहे. सरकार जो लोग बनाते हैं न। उन्हें अहंकार और घमंड हो जाता है. मैं जानता हूं. जनता के बीच कभी भी हमारा कहीं अहंकार नहीं रहा. जो पहले थे आज भी वहीं रहेंगे जनता के लिए.उन्होंने कहा कि जो लोग भाषण दे रहे हैं न इस बार सबकी पोल खुल जाएगी. हमारी भी और उनकी भी. असल में कुछ लोग जनता को दिग्भ्रमित करते हैं. हम हीं ने उन्हें कुर्ता पायजामा दिया. पहनाना भी हम ही ने सिखाया.सभी को ट्रेनिंग दिए. अब यही लोग मेरे खिलाफ घूम-घूम कर लोगों को दिग्भ्रमित कर रहे हैं..
गोपालगंज उपचुनाव को तेजस्वी यादव के लिए लिटमस टेस्ट बताये जाने पर साधू यादव ने कहा कि ये कोई लिटमस टेस्ट का चुनाव नहीं है. मेरा जन्मस्थली यही है. मेरी पढ़ाई, शिक्षा सब यहीं हुई है. ऊ लोग यहां कभी रहे ही नहीं हैं. यहां के लोगों के बीच ऊ लोग कभी चुनाव ही नहीं लड़े हैं. हवा बनाने से कुछ नहीं होगा. यहां के लोगों को वे पहचानते भी हैं क्या? जीत जाने के बाद यहां के लोगों के लिए उनका दरवाजा खुलेगा.
साधू अपनी पत्नी की जीत को लेकर आश्वस्त हैं.वो कहते हैं- हम जहां भी जा रहे हैं जनता सीधे यही कहती है कि सब काम रउए कइले बानी. बाकी कोई नइखे. 2020 में सारा वोट आप ही को दिए थे लेकिन नहीं पता ई(सुभाष सिंह) कैसे जीत गए. लेकिन इस बार ये गलती नहीं होगी. इस बार सारा वोट आपको ही मिलेगा.साधू यादव ने कहा कि जब हम यहां थे, तब अस्पताल में डॉक्टर अच्छे से इलाज किया करते थे. दवा-इलाज सब हुआ करता था. अस्पताल यहां मैंने ही बनाया, लेकिन अब यहां न इलाज होता है और न डॉक्टर हैं. अभी एम ए की पढ़ाई यहां नहीं होती है. अगर हम आएं तो यहां इस बार यूनिवर्सिटी खुलवाएंगे. अगर यूनिवर्सिटी नहीं खुलवा पाए तो गोपालगंज में दोबारा कदम नहीं रखेंगे.