सिटी पोस्ट लाइव : बिहार विधानसभा चुनाव में चिराग ने NDA से अलग होकर चुनाव लड़ने का फैसला क्या लिया. आज उनके चाचा ही उनके दुश्मन बन गए. दुश्मनी का ये बीज विधानसभा में बोया गया था, जिसकी फसल आज 7 महीने बाद कटी है. चिराग पासवान के चाचा पशुपति कुमार पारस ने पार्टी में बगावत करते हुए 4 सांसदों को अलग कर खुद राष्ट्रीय अध्यक्ष बन गए. भतीजे चिराग पासवान को इस बात की जानकारी मिली तो उन्होंने और उनके साथ के सभी सांसदों को पार्टी ने बेदखल कर दिया. इतना ही नहीं कानूनी लड़ाई लम्बी चलने की बात कह डाली.
अब जब पशुपति पारस बिहार पहुंचे हैं तो उन्होंने भी चिराग को खुली चुनौती दे दी. और कह दिया कि आपको कानूनी लड़ाई लड़नी है लड़िये, सुप्रीम कोर्ट तक जाइये. लेकिन एक बात बता दूं कि लोजपा हमारी है, बाकी आपको कोर्ट बताएगा. पटना पहुंचे पारस ने कहा कि लोजपा पार्टी में तानाशाही व्यवस्था स्थापित हो गई थी. नेता परिवर्तन चाहते थे. हमारी पार्टी में संविधान है कि एक व्यक्ति एक पद पर होगा. लेकिन चिराग तीन पद पर थे. चिराग को राष्ट्रीय अध्यक्ष बिना चुनाव के बनाया गया. यह भी असंवैधानिक है. तीन पद पर रहना असंवैधानिक है इसलिये संसदीय दल के नेता और राष्टीय अध्यक्ष के पद से उन्हें हटाने का निर्णय लिया गया.
उन्होंने कहा कि चिराग ने मुझे बिहार के अध्यक्ष पद से असंवैधानिक रूप से हटाया, यह मुख्य कारण है. हम चाहते थे कि एनडीए के साथ चुनाव लड़े लेकिन ऐसा नहीं हुआ. गठबंधन नहीं था. सभी की हार हो गई. लोगों में यही आक्रोश था. हम कह रहे हैं कि लोजपा हमारी है, बाकी कोर्ट बताएगा. गौरतलब है कि चिराग ने चाचा पशुपति पारस पर गंभीर आरोप लगाए. उन्होंने कहा कि चाचा से बहुत बात करने की कोशिश की लेकिन उनके तरफ से कोई जवाब नहीं आया. यदि वे पहले बोलते तो उन्हें ही संसदीय दल का नेता बना देता. मैंने हमेशा परिवार और पार्टी को एकजुट में रखने की कोशिश की है.
साथ ही उन्होंने कहा कि यह पहली बार नहीं है जब एलजेपी को तोड़ने की कोशिश की गयी है. बल्कि इससे पहले भी पार्टी को तोड़ने की कोशिश की जा चुकी है. साथ ही कहा कि, उनके चाचा को गलत तरीके से नेता चुना गया है और लोजपा का संविधान कहता है कि अध्यक्ष को ऐसे हटाया ही नहीं जा सकता है.