अनिल देशमुख के इस्तीफे के बाद संकट में उद्धव सरकार, बढ़ गई हैं चुनौतियां

City Post Live - Desk

सिटी पोस्ट लाइव : महाराष्ट्र सरकार खतरे में है. गृह मंत्री अनिल देशमुख के इस्तीफे की वजह से सत्ताधारी गठबंधन महा विकास अघाड़ी (MVA), खासतौर पर राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी यानी एनसीपी बहुत नाराज है. बॉम्बे हाई कोर्ट ने देशमुख के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों की सीबीआई जांच कराए जाने का आदेश दिया है. एनसीपी देशमुख को कैबिनेट से हटाना नहीं चाहती थी लेकिन हाई कोर्ट का कहना था कि  देशमुख के गृहमंत्री रहते हुए मुंबई पुलिस अपने मुखिया के खिलाफ आरोपों की जांच कैसे कर पाएगी?

एनसीपी देशमुख को कैबिनेट में बनाए रखना चाहती थी लेकिन  सीएम उद्धव ने देशमुख के खिलाफ जांच के आदेश दे दिए. सरकार में तीसरी पार्टी कांग्रेस अब तक नाराज है कि पूरे प्रकरण में उससे कोई सलाह-मशविरा तक नहीं किया गया. देशमुख मामले में तालमेल की कमी से सवाल उठ रहे हैं कि क्या महाराष्ट्र की महा विकास अघाड़ी सरकार 5 साल तक अपना कार्यकाल पूरा कर
पाएगी या फिर देशमुख का इस्तीफा इस गठबंधन में फूट की शुरुआत है.

जब राज्य की उद्धव सरकार ने देशमुख पर लगाए गए आरोपों की जांच रिटायर्ड जज से कराने की घोषणा की थी, तभी यह अटकलें लगाई जा रही थीं कि अब देशमुख से इस्तीफा मांगा जाएगा. यह न सिर्फ निष्पक्ष जांच के लिए जरूरी था बल्कि इससे लोगों के बीच यह संदेश भी जाएगा कि राज्य सरकार भ्रष्टाचार के आरोपों को लेकर गंभीर है.

पार्टी नेताओं के मुताबिक, एनसीपी का शीर्ष नेतृत्व देशमुख के खिलाफ तत्काल कोई ऐक्शन नहीं चाहता था. हालांकि, इस बात को लेकर सहमति थी कि बाद में देशमुख को गृह मंत्रालय से किसी और विभाग में भेज दिया जाएगा. लेकिन इस बीच हाईकोर्ट के आदेश ने एनसीपी को मजबूर कर दिया कि वह देशमुख का इस्तीफा ले. ऐसे में इस्तीफा लेने में पार्टी की ओर से हुई देरी ने एनसीपी की ही किरकिरी करा दी.

सरकार के अंदर एक राय की कमी उस वक्त भी दिखी जब मुंबई पुलिस कमिश्नर और देवेंद्र फडणवीस ने अनिल देशमुख के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप लगाए. इसके पीछे भी वजह मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे और एनसीपी चीफ शरद पवार के बीच एकमत
न होना ही था. एमवीए नेताओं की मानें तो ठाकरे चाहते थे कि एनसीपी देशमुख को कैबिनेट से हटाए लेकिन एनसीपी इसके लिए तैयार नहीं थी.

एनसीपी की तैयारी सीबीआई जांच वाले हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देने की है. हालांकि, महा विकास अघाड़ी इसपर फैसला करेगी कि सुप्रीम कोर्ट में सरकार फैसले को चुनौती देगी या फिर देशमुख खुद इसके खिलाफ अर्जी देंगे. महा विकास अघाड़ी में सहयोगी कांग्रेस भी राजनीतिक घमासान और खुद को तरजीह न मिलने से नाखुश है. एक वरिष्ठ कांग्रेस नेता ने पूरे घटनाक्रम पर कहा, ‘यह तीन पार्टियों वाली सरकार है. जो भी होता है, सभी सहयोगियों को उसके परिणाम भुगतने पड़ेंगे.

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