सिटी पोस्ट लाइव : बिहार के स्वास्थ्य व्यवस्था की पोल अक्सर तब खुल जाती है, जब कोई इस कुव्यवस्था का शिकार होता है. सरकार तो दावे बड़े बड़े करती है, लेकिन क्या जमीनी स्तर पर वो दावे सफल हुए हैं. ये बात सिर्फ उस व्यवस्था का लाभ उठाने वाले लाभुकों को ही पता है. दरअसल गोपालगंज में स्वास्थ्य विभाग की एक बार फिर बड़ी लापरवाही सामने आई है. जहां टॉर्च की रौशनी में डॉक्टर मरीजों का इलाज करते पाए गए.
बताया जाता है कि बारिश की वजह से बिजली सप्लाई में फॉल्ट आ गई. बिजली के नहीं रहने पर इनर्वटर या जेनरेटर से काम किया जाता है, लेकिन अस्पताल का इनवर्टर भी खराब था. ऐसे में डॉक्टर ने मोबाइल में मौजूद टॉर्च की रोशनी में इलाज शुरू कर दिया. जानकारी अनुसार काकड़कुंड गांव के रहनेवाले टीबी के मरीज अनिल राम को परिजन इलाज के लिए इमरजेंसी वार्ड लाए, लेकिन वहां बिजली गुल थी. फिर क्या था अंधेरे में मोबाइल की टॉच जलाकर इंजेक्शन दिया गया. साथ ही जहां मरीज को भर्ती किया गया, वहां छत से बारिश का पानी भी टपक रहा था. ये देखकर तो मरीज और ज्यादा परेशान हो गए.
वहीं हसनपुर गांव की रहनेवाली बुधा देवी जिन्हें सांस लेने में दिक्कत होने पर इमरजेंसी वार्ड में भर्ती कराया था, उनका भी इलाज अंधेरे में ही हुआ. बिजली कट होने से ऑक्सिजन सिलेंडर से लगाना पड़ा. जबकि उसी वार्ड में सरैया मोहल्ले की कनीज फातमा जो हाथ टूटने के बाद इमरजेंसी वार्ड में लाइ गई थी, उन्हें भी टॉर्च जलाकर इलाज किया गया. जाहिर है कि सदर अस्पताल जिसपर कई गांव के लोग निर्भर हैं. हजरों लोग योज इलाज कराने आते हैं, उनके लिए इमरजेंसी के लिए कोई इमरजेंसी सिस्टम नहीं.
जाहिर है इस तरह की घटना पहली बार नहीं है. सहरसा से भी इस साल अगस्त महीने में एक मामला आया था, जहां सदर अस्पताल में एक सांप काटे मरीज का इलाज मोबाइल फ्लैश लाइट में किया गया था. इस तरह के मामलों में डॉक्टरों ने तो पाना कर्तव्य जान बचाकर जरुर निभाया. लेकिन अस्पताल व्यवस्था की चौकसी धरी की धरी रह गई.