इस गांव में है खूनी खेल की परंपरा, मौत होने पर भी न परिवार को दुःख होता न कोई मुकदमा

City Post Live - Desk

सिटी पोस्ट लाइव : मिथिलांचल में त्योहारों की कमी नहीं है, लेकिन ऐसा त्योहार है जो कि गांव-गांव के लोग एक दूसरे के साथ खूनी खेल खेलते हैं। जी हां दस गांवों के बीच यह खूनी खेल खेला जाता है। जिसमें पत्थरबाजी, तीर कमान चलाना, गुलेटी चलाना और कई ऐसे हथियारों से यह खूनी खेल खेला जाता है। इस खेल की परंपरा को पिछले कई वर्षों से निभाया जा रहा है। दस गांवों के लोग जुड़ शीतल पर्व में बर्री भात खाकर के यह लड़ाई करते हैं, जिससे इन लोगों का सेहत तंदुरुस्त रहता है।

मधुबनी जिला मुख्यालय से सटे कलुआही, राजनगर और रहिका प्रखंड के दस ऐसे गाँव के लोग हैं जो कि यह लड़ाई को वर्षों से परंपरा के नाम पर निभाते आ रहे हैं। इस खूनी खेल में अगर किसी की हत्या भी हो जाती तो पुलिस मुकदमा नहीं होता है और ना ही मृतक के परिवार वाले भी किसी भी प्रकार के मुकदमें दर्ज करवाते हैं. जबकि प्रशासन के लोग इस खूनी खेल के लिये मुस्तैद रहा करती है , इसलिये की अगर किसी को ज्यादा चोटें लग जाती है या कोई गंभीर रूप से घायल हो जाता है तो उसे अस्पताल पहुंचाने के लिये और उसकी ईलाज सही से करवाया जा सके.

इस खेल को दस गांवों के लोग अपनी परंपरा मान चुका है और हर साल इस जुड़ शीतल पर्व के दौरान खेलता है। जबकि स्थानीय की माने तो उसने बताया कि यह खूनी खेल खेलने से शरीर तंदुरुस्त रहता है। इसलिये इस इलाके के गांवों के लोग ये खेल खेलते हैं।

मधुबनी से आलोक कुमार की रिपोर्ट

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