सिटी पोस्ट लाइव : बिहार विधानसभा उपचुनाव में दो सीटों के लिए मतदान हो चुके हैं. उम्मीदवारों का भविष्य पेटी में बंद हैं और ये पेटी कल खुलेगा. यानि कल राजद और जदयू के लिए अग्नि परीक्षा है. तेजस्वी इन दो सीटों पर जीत के साथ खेला करने की फ़िराक में हैं. तो वहीं जदयू दोनों सीटों पर जीतकर फिर से अपना दबदबा बरकार रखना चाहते हैं. वहीं महागठबंधन से अलग हुई कांग्रेस भी राजद की मुसीबत बढ़ा सकते हैं. वैसे कल ये साफ़ होने ही जा रहा है कि क्या कांग्रेस के अलग होने से RJD का बेड़ागर्क होगा या नहीं. वैसे बता दें कि सभी पार्टियों ने इन दो सीटों के लिए पूरी ताकत के साथ प्रचार प्रसार किया था. राजद ने तो अपनी पूरी ताकत झोंक दी. तेजस्वी और उनके बड़े नेताओं ने तो सभा की ही, साथ ही राजद के राष्ट्रीय अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव ने बीमारी के बावजूद प्रचार किया. यानी कहें कि इन दोनों सीटों पर लालू और तेजस्वी की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है तो गलत नहीं होगा.
बात दें JDU की तरफ से तारापुर में कमान खुद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह ने सम्भाल रखी थी. पार्टी के संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष उपेन्द्र कुशवाहा भी लगातार चुनाव प्रचार में लगे हुए थे वहीं अशोक चौधरी जिन्हें तारापुर का प्रभार मिला था लगातार कैम्प कर रहे थे. इन तीनों के ऊपर JDU उम्मीदवार को जिताने की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी थी. वहीं कुशेश्वरस्थान में JDU की पूरी कमान मंत्री संजय झा ने सम्भाल रखी थी वहीं विधानसभा उपाध्यक्ष महेश्वर हज़ारी भी लगातार चुनाव प्रचार में लगे हुए थे. भारत सरकार के मंत्री आरसीपी सिंह ने भी कुशेश्वर स्थान और तारापुर में चुनाव प्रचार किया था. JDU के स्टार प्रचारक खुद नीतीश कुमार थे और उन्होंने भी तारापुर और कुशेश्वरस्थान में ना सिर्फ़ प्रचार किया बल्कि जनता को ये बताने की कोशिश भी की है की उन्होंने तमाम जाति और धर्म के लिए विकास किया.
राजद से अलग होकर लम्बे समय के बाद कांग्रेस कोई चुनाव लड़ रही थी और अपनी अहमियत जताने के लिए कांग्रेस ने दोनों विधानसभा में नेताओं की फ़ौज उतार दी. उसकी नज़र मुख्य रूप से कुशेश्वरस्थान पर टिकी हुई थी और यही वजह थी कि कांग्रेस ने ना सिर्फ़ बिहार कांग्रेस प्रभारी भक्त चरण दास को उतारा था बल्कि अध्यक्ष मदन मोहन झा , कन्हैया कुमार, पप्पू यादव, रंजीत रंजन, प्रेमचंद्र मिश्रा, अनिल शर्मा, शकील खान जैसे तमाम बड़े कांग्रेसी नेता भी मैदान में थे. बिहार कांग्रेस के नेताओं ने बताया कि हम चुनाव जीतें या ना जीतें लेकिन राजद को अपनी अहमियत ज़रूर जता देंगे. जाहिर है जीत तो किसी एक की ही होनी है लेकिन इन सभी नेताओं की भूमिका अहम् है. वैसे इसका फैसला कल हो ही जायेगा कि जनता को कौन पसंद है और कौन नहीं. राजद जीत जाती है तो उनके खाते में दो और विधायक होंगे, जिसके बाद शायद वे कुछ खेल करने की सोंच सकते हैं. वहीं जदयू जीत जाती है तो उनकी आन-बान और शान बरकार रहेगी.