सिटी पोस्ट लाइव : बिहार के केवल 12 जिलों में खास महाल की जमीन का कुल रकबा 4193 एकड़ है. पटना में सबसे अधिक 137 एकड़ जमीन है. पटना के बाद पूर्णिया एवं मुंगेर में इसका बड़ा रकबा है. आरोप है कि कई मूल लीजधारकों के निधन के बाद उनके स्वजनों ने जमीन बेच दी. इसके अलावा जमीन की प्रकृति को भी बदल दिया. आवास के लिए आवंटित भूमि का व्यवसायिक इस्तेमाल हो रहा है. राज्य सरकार खास महाल की जमीन के बारे में जल्द फैसला लेने जा रही है.
राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग करीब साल भर से इस जमीन की जांच कर रहा है. विभागीय मंत्री रामसूरत कुमार ने अधिकारियों को कहा है कि वे जांच रिपोर्ट की समीक्षा कर ठोस कार्रवाई की अनुशंसा करें. सरकार जांच कर रही है कि खास महाल की जमीन की अवैध खरीद-बिक्री तो नहीं हुई है. सरकार शर्तों का पालन न करने वालों की लीज रद करने का निर्णय ले सकती है.असल में सरकार की यह कार्रवाई सुप्रीम कोर्ट की ओर से 2018 में जारी एक आदेश के सिलसिले में हो रही है. विभाग ने पिछले साल जुलाई में सभी प्रमंडलीय आयुक्तों एवं जिलाधिकारियों के नाम एक आदेश जारी किया था. इसके जरिए खास महाल की जमीन की वर्तमान स्थिति की जानकारी मांगी गई थी. इन अधिकारियों को बताना था कि उनके जिले में खास महाल की कितनी जमीन है. उसका रकबा कितना है और मूल लीज की अवधि कब समाप्त हुई. इस समय लीज की जमीन का क्या उपयोग हो रहा है.
रिपोर्ट में यह भी बताना था कि किन लीज धारियों ने शर्तों का उल्लंघन किया है. अधिसंख्य जिलों से रिपोर्ट आ गई है. विभाग उसकी समीक्षा कर रहा है. मंत्री ने कहा कि ऐसे लोग जो बिना शर्तों के उल्लंघन के खास महाल की जमीन पर रह रहे हैं, उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं होगी. लेकिन, शर्तों का उल्लंघन करने वाले लीज धारकों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी.