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ये क्वरंटाइन सेंटर तो आनंद का दरिया बन गया है, खूब दुबकी लगा रहे प्रवासी मजदूर

इस क्वरंटाइन सेंटर में वेस्टर्न म्यूजिक पर Aerobics करते हैं प्रवासी श्रमिक! बदल गई स्कूल की तस्वीर.

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सिटी पोस्ट लाइव : बिहार में क्वरंटाइन सेंटर में अबतक लगभग 8 लाख मजदूरों की संख्या हो गई है. हर रोज किसी न किसी क्वरंटाइन सेंटर से हंगामे की खबर आ रही है.कहीं खाने-पीने की व्यवस्था को लेकर तो कहीं सोने की व्यवस्था को लेकर मजदूर हंगामे कर रहे हैं. मजदूर क्वरंटाइन सेंटर में दुखी और पीड़ित नजर आते हैं. लेकिन बिहार के एक ऐसे क्वरंटाइन सेंटर की ऐसी तस्वीर आई है, जो सोशल मीडिया में खूब वायरल हो रही है. इस क्वरंटाइन सेंटर के प्रवासी मजदूर दुखी नहीं बल्कि बहुत खुश हैं.वो जीवन जीना सिख रहे हैं.वो आनंदित और वेस्टर्न म्यूजिक पर नाचते-गाते-झूमते नजर आते हैं.

ये तस्वीर है रोहतास जिले के नक्सल प्रभावित इलाकों प्रखंड के पतलूका मध्य विद्यालय क्वारंटाइन सेंटर का. क्वारंटीन किए गए लोगों ने अपने जज्बे से क्वरंटाइन सेंटर को आनंद का आश्रम बना दिया है. यहां सुबह-सुबह वेस्टर्न म्यूजिक (Western music) की थाप पर यहां श्रमिक एरोबिक्स (Aerobics) करते नजर आते हैं. तेज संगीत के बीच एरोबिक्स के दौरान कुछ उत्साही मजदूर नृत्य करने लगते हैं. विद्यालय के प्राचार्य खुद संगीत की थाप पर इन लोगों को उत्साहित करते हैं ताकि नकारात्मक ऊर्जा से बचा जाए. इस दौरान सोशल डिस्टेंसिंग का भी पालन किया जा रहा है.

दरअसल श्रमिकों की सकारात्मक ऊर्जा से अब इस विद्यालय के परिसर की तस्वीर ही बदल गई है. पिछले ढाई महीने से बंद पड़े स्कूल में जंगल झाड़ उग आए थे, लेकिन यहां के क्वारंटाइन किए गए मजदूरों ने पूरे परिसर को साफ सुथरा कर दिया. यहां तक कि विद्यालय के पीछे खाली जमीन में सब्जी की खेती शुरू कर दी है.यहां क्वारंटाइन किए गए 81 लोगों में 4 महिलाएं हैं. जब से यहां मजदूर आए हैं तब से मजदूरों के इस अपनापन को देखते हुए यहां के विद्यालय के हेडमास्टर सह क्वारंटाइन सेंटर के प्रभारी अनिल कुमार सिंह भी मजदूरों के साथ दिन रात नजर आते हैं.

कुछ श्रमिक जो गाना बजाना जानते हैं वे शाम में भजन-कीर्तन करते हैं. सबकुछ सामूहिक रूप से होता है. विद्यालय के प्रभारी कहते हैं कि क्वारंटाइन किए गए श्रमिक अपनी जवाबदेही निभाते हुए सरकार के इस विद्यालय को साफ सुथरा करने में अपना वक्त बिता रहे हैं.यह प्रवासी श्रमिक जब से इस विद्यालय में आए हैं पूरा परिसर गुलजार हो गया. पीछे की खाली जमीन में ये लोग सब्जी के पौधे लगा दिए हैं. इन श्रमिकों का कहना है कि जब वे विद्यालय छोड़कर जाएं, और जब स्कूल शुरू हो तो बच्चे मिड डे मील में अपने विद्यालय के परिसर में उगने वाली सब्जियों का स्वाद ले सकें.

सबसे बड़ी बात है कि यह इलाका नक्सल प्रभावित है और बड़ी संख्या में इस इलाके से मजदूरी के लिए लोग देश के विभिन्न प्रांतों में जाते हैं. लेकिन लॉकडाउन के बाद ये लोग लौट के जब घर आए तो अपने गांव के विद्यालय में क्वारंटाइन किए गए हैं.डीएम पंकज दीक्षित कहते हैं कि सकारात्मकता से मानसिक स्तर पर लोग स्वस्थ रहते हैं. ऐसे में यह प्रयास सराहनीय है. हम सबको मिलकर कोरोना के खिलाफ इस लड़ाई को लड़ना होगा. तभी हम इससे जीत पाएंगे.

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