सिटी पोस्ट लाइव :भारत सरकार ने बैंक ऑफ महाराष्ट्र (Bank of Maharashtra), बैंक ऑफ इंडिया (Bank of India), इंडियन ओवरसीज बैंक (Indian Overseas Bank) और सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया (Central Bank of India) के निजीकरण का फैसला लिया है.सरकार ने प्राइवेटाइजेशन के लिए ईन बैंकों को शॉर्टलिस्ट किया है.सरकारी बैंकों को बेचकर सरकार राजस्व कमाना चाहती है ताकि उस पैसे का उपयोग सरकारी योजनाओं पर हो सके. अगर आपका खाता इन बैंकों में है तो क्या आपका पैसा सेफ है?
सरकार बैंकिंग सेक्टर में प्राइवेटाइजेशन टू-टायर बैंकों के साथ शुरू करना चाहती है. वित्त मंत्री (Finance Minister) निर्मला सीतारमण ने इस महीने की शुरुआत में बजट 2021-22 पेश करते हुए सार्वजनिक क्षेत्र के दो बैंकों के प्राइवेटाइजेशन की घोषणा की थी.बैंक यूनियनों के अनुमान के मुताबिक, बैंक ऑफ इंडिया में लगभग 50,000 कर्मचारी हैं और सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया के कर्मचारियों की संख्या 33,000 है, जबकि इंडियन ओवरसीज बैंक में 26,000 और बैंक ऑफ महाराष्ट्र में लगभग 13,000 कर्मचारी हैं.
सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के निजीकरण का मार्ग प्रशस्त करने के लिए सरकार इस साल दो अधिनियमों में संशोधन लाएगी. निजीकरण के लिए बैंकिंग कंपनियां (उपक्रमों का अधिग्रहण व हस्तांतरण) अधिनियम, 1970 और बैंकिंग कंपनियां (उपक्रमों का अधिग्रहण व हस्तांतरण) अधिनियम, 1980 में संशोधन आवश्यक होगा.
इनमें से किसी भी बैंक में खाता रखने वाले ग्राहकों को अपने पैसे के बारे में चिंता करने की जरुरत नहीं. सरकार का उद्देश्य विभिन्न सामाजिक क्षेत्र और विकासात्मक कार्यक्रमों के वित्तपोषण के लिए विनिवेश आय का उपयोग करना है और साथ ही केंद्र सरकार के सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों में निजी पूंजी, प्रौद्योगिकी और सर्वोत्तम प्रबंधन प्रथाओं को बढ़ावा देना है.