सिटी पोस्ट लाइव :कोरोना की दूसरी लहर बेहद खतरनाक है.इसबार ज्यादातर संक्रमितों को वेंटिलेटर की दरकार पड़ रही है.सरकारी और निजी अस्पतालों में ICU बेड के लिए मारामारी मची है.लेकिन हैरत की बात ये है कि बिहार सरकार का स्वास्थ्य महकमा जो महामारी से दिन रत निबटने में जुटे होने का दावा कर रहा है उसके पास वेंटिलेटर चलानेवाले ही नहीं हैं.सैकड़ों वेंटिलेटर रखे हुए हैं लेकिन उनका इस्तेमाल करनेवाले एक्सपर्ट्स नहीं हैं. राज्य के 36 जिलों में 207 वेंटिलेटरों में से अधिकांश की पैकिंग तक नहीं खुली है. पटना से लेकर अन्य शहरों में मरीजों की जान जा रही है.
स्वास्थ्य विभाग ने इन वेंटिलेटरों को 2 मई को निजी अस्पतालों में लगाने की अनुमति दी.16 दिन बीत गए लेकिन अबतक दो दर्जन वेंटिलेटर ही निजी अस्पतालों में इंस्टॉल हो पाए हैं. सरकारी अस्पतालों में वेंटिलेटर इसलिए इंस्टॉल नहीं हो पाए क्योंकि इन्हें चलाने के लिए पर्याप्त संख्या में एनेस्थीसिस्ट नहीं हैं.पीएम केयर फंड से आए थे वेंटिलेटर पीएम केयर फंड के तहत मार्च 2020 में 60,000 वेंटिलेटर खरीदे गए थे. इनमें 17000 राज्यों को दिए गए.जुलाई से सितंबर माह के बीच आए वेंटिलेटरों में यह 207 वेंटिलेटर भी शामिल हैं, जो राज्य के 36 जिलों में संबंधित सिविल सर्जन के अधीन पड़े है. सरकार ने इसी माह इन्हें निजी अस्पतालों में लगाने का निर्णय लिया. राज्य स्वास्थ्य समिति ने डीएम और सिविल सर्जन को पत्र जारी 24 घंटे में रिपोर्ट भी मांगी. 16 दिन बाद भी ज्यादातर वेंटिलेटर जिलों में पड़े हैं.
राज्य स्वास्थ्य समिति ने 30 अप्रैल को निजी अस्पतालों को वेंटिलेटर देने का फैसला इसलिए लिया कि सरकारी अस्पतालों में इन्हें चलाने के लिए एनेस्थीसिस्ट व टेक्निशियन नहीं हैं. और जो हैं वे कोविड मरीजों के इलाज में लगे हैं. तय तो यह भी हुआ था कि अगर किसी जिले में वेंटिलेटर की संख्या से ज्यादा आवेदन प्राप्त होते हैं तो उन्हें दूसरे जिले से वेंटिलेटर आवंटित किया जाएगा.राज्य स्वास्थ्य समिति ने कहा था कि जिस अस्पताल को वेंटिलेटर आवंटित होगा, उन्हें मरीजों से स्वास्थ्य विभाग द्वारा निर्धारित अधिकतम दर से 2 हजार रुपए कम राशि लेनी होगी.
स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय ने कहा कि लोगों की सुविधा के लिए निजी अस्पतालों को सरकारी वेंटिलेटर देने का निर्णय लिया गया है. पटना समेत कई जिलों में वेंटिलेटर निजी अस्पतालों को दिए गए हैं. हमें यह समझना पड़ेगा कि वेंटिलेटर सिर्फ एक मशीन नहीं है जिसे बेड से जोड़ देने के बाद वह वेंटिलेटर बेड हो जाएगा. बेड के हिसाब से एनेस्थीसिस्ट की जरूरत होती है.हमारे पास एनेस्थीसिस्ट नहीं हैं, इसलिए वेंटिलेटर रहते हुए भी उसे इंस्टॉला कर पाना संभव नहीं हो पाया. कई जगहों पर ये खबरें भी चलीं कि टेक्निशियन नहीं हैं इसलिए वेंटिलेटर का उपयोग नहीं हो रहा है, जबकि सच यह है कि टेक्निशियन वेंटिलेटर ऑपरेट नहीं करता है. वह सिर्फ सहयोग करता है. मुख्य काम एनेस्थीसिस्ट का है.इसीलिए हमने यह निर्णय लिया था कि निजी अस्पतालों में जहां मैनपावर है और वेंटिलेटर ऑपरेट करने की व्यवस्था है उन्हें वेंटिलेटर दिए जाएंगे. एक साल में तीन बार हमने एनेस्थीसिस्ट की भर्ती की कोशिश की लेकिन हमें 140 की जगह सिर्फ 77 लोग मिले जो काम कर रहे हैं. हमने यह घोषणा भी कि 1.5 लाख रुपए देंगे लेकिन इस विशेषज्ञता वाले लोग ही कम हैं.