सिटी पोस्ट लाइव : सुपौल जिले (Supaul District) के निर्मली से सरायगढ़ तक का सफर वर्तमान में दरभंगा-समस्तीपुर-खगड़िया-मानसी-सहरसा होते हुए 298 किलोमीटर का है. कोसी महासेतु रेल पुल के निर्माण से 298 किलोमीटर की दूरी मात्र 22 किलोमीटर में सिमट जाएगी.मुख्य रेल संरक्षा आयुक्त (Chief Railway Safety Commissioner) यानी CCRS की ओर से कोसी महासेतु रेल पुल (Kosi Rail Bridge) पर ट्रेनों के परिचालन की मंजूरी मिल गयी है. अब जल्द ही इस पुल पर 80 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से ट्रेन दौड़ सकेगी.
गौरतलब है कि 6 जून, 2003 को तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने इसका शिलान्यास किया था. इसके तहत लगभग 1.9 किलोमीटर लंबे इस कोसी महासेतु सहित 22 किलोमीटर लंबे निर्मली-सरायगढ़ रेलखंड का निर्माण किया गया है. इस परियोजना के लिए वर्ष 2003-04 में 323.41 करोड़ रुपये की राशि स्वीकृत की गई थी परंतु अब यह बढ़कर 516.02 करोड़ हो गई है. गौरतलब है कि बीते 23 जून को इस नवनिर्मित रेल पुल पर पहली बार ट्रेन का सफलतापूर्वक परिचालन किया गया था.
दरअसल कोसी नदी के दोनों किनारों (निर्मली एवं सरायगढ़ ) को जोड़ने सबसे ज्यादा लाभ दरभंगा, मधुबनी, सुपौल और सहरसा जिले में रहने वालों को होगा. गौरतलब है कि निर्मली जहां दरभंगा-सकरी – झंझारपुर मीटर गेज लाइन पर अवस्थित एक टर्मिनल स्टेशन था. वहीं, सरायगढ़, सहरसा और फारबिसगंज मीटर गेज रेलखंड पर अवस्थित था.वर्ष 1887 में बंगाल नॉर्थ-वेस्ट रेलवे ने निर्मली और सरायगढ़ (भपटियाही) के बीच एक मीटर गेज रेल लाइन का निर्माण किया था. उस समय कोसी नदी का बहाव इन दोनों स्टेशनों के मध्य नहीं था. उस समय कोसी की एक सहायक नदी तिलयु्गा इन स्टेशनों के मध्य बहती थी. इसके ऊपर लगभग 250 फीट लंबा एक पुल था.
वर्ष 1934 में आए भूकंप में कोसी नदी पर बना रेल पुल ध्वस्त हो गया था और इसके साथ ही उत्तर और पूर्व बिहार के बीच का रेल संपर्क टूट गया था. बाद के दिनों में दोनों इलाकों के बीच रेल संपर्क कायम तो हुआ, लेकिन कोसी नदी पर पुल निर्माण का कार्य अटका ही रहा. इस कारण दरभंगा और मधुबनी को सीधे सुपौल व सहरसा से जोड़ने वाला मार्ग बंद था.