सिटी पोस्ट लाइव : ये आंदोलन पूरी तरह सर गैरकानूनी है, अवैध है। कोरोना काल मे इस तरह से एक जगह इकट्ठा होना, राज्य के लिए ये खतरे की घंटी है । ये कहना है राज्य के पेयजल व स्वच्छता मंत्री मिथिलेश ठाकुर का जो आंदोलनकारी सहायक पुलिसकर्मियों से वार्ता विफल होने के बाद मीडिया से बात करते हुए कहीं।
आपको बता दें कि कल सरकार के वार्ताकार झारखण्ड सरकार के पेयजल व स्वच्छता मंत्री मिथिलेश ठाकुर से वार्ता विफल होने के बाद आज आंदोलनकारी सहायक पुलिसकर्मियों का 15 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल वार्ता के लिए मंत्री के आवास पहुंचा । इस प्रतिनिधिमंडल में 3 महिला आंदोलनकारी सहायक पुलिसकर्मी भी थीं। जहां दोनो पक्षों ने वार्ता की मेज पर आमने सामने बैठकर वार्ता हुई।
वार्ता के बाद मीडिया से बात करते हुए मंत्री ने कहा कि इनका आंदोलन पूरी तरह नेतृत्व विहीन है, इतना बड़ा अवसर इन्हें मिला है पर निर्णय लेने की क्षमता इनमें नही है। 3 साल के अनुबंध पर इनकी सेवा थी, इनका अनुबंध समाप्त हो गया है, माननीय मुख्यमंत्री ने इन्हें अनुबंधकर्मी की श्रेणी में शामिल करने का निर्णय लिया है। विकास आयुक्त की अध्यक्षता वाली कमिटी में इन्हें भी शामिल किया जाएगा। अगर ये अवसर ये खोते हैं तो इतना बड़ा अवसर इन्हें फिर नही मिलने वाला है। अगर पानी सिर से ऊपर जाएगा तो कठोर निर्णय लेने में भी सरकार नहीं चूकेगी।
वहीं वार्ता विफल होने के बाद बाहर निकले सहायक पुलिसकर्मियों के प्रतिनिधिमंडल का कहना था कि आज जिसका हवाला दिया जा रहा है कि अनुबंधकर्मियों की श्रेणी में शामिल किया जा रहा है इसकी मांग तो हमलोग पहले से ही कर रहे थे । इस श्रेणी में जिन्हें भी शामिल किया गया है वो तो सभी के साथ होगा। हमारी मांग है न्यूनतम वेतन 18 हज़ार किया जाए, पर सरकार का कहना है 13 हज़ार। अनुबंध अवधि विस्तार पर भी खुलकर नहीं बताया जा रहा है कि अनुबंध अवधि कितना बढ़ाया जा रहा है, अगर 2 साल बढ़ते हैं तो 2 साल बाद हमलोग कहाँ जाएंगे। अभी हमारा आंदोलन जारी रहेगा जबतक हमारी मांगें नहीं मानी जाती हैं।
गौरतलब है कि कल वार्ता के बाद मंत्री ने सरकार का आश्वासन सहायक पुलिसकर्मियों को सुनाया था, जिसमे सहायक पुलिसकर्मियों को ड्यूटी के लिए मिलने वाले अंकों जो प्रति वर्ष मिलता है उसको बढ़ाने, मानदेय में वृद्धि करने और अवधि विस्तार करने की बात कही थी ।