सिटी पोस्ट लाइव, रांची: झारखंड अलग राज्य के लिए मुहिम चलाने वाले आंदोलनकारियों के लिए अच्छी खबर है। राज्य सरकार ने झारखंड आंदोलनकारियों के लिए सरकारी नौकरी और सम्मान पेंशन राशि देने का निर्णय लिया है। विगत 25 फरवरी को राज्य कैबिनेट की बैठक में आंदोलनकारियों की पहचान के लिए रिटायर्ड आईएएस अधिकारी की अध्यक्षता में एक सदस्यीय आयोग गठन का निर्णय लिया गया था और अब सरकार ने इसकी तैयारी कर ली है। पुनर्गठित आयोग सरकार के आदेश जारी करने की तिथि से लागू होगा। राज्य सरकार के अनुसार झारखंड आंदोलनकारी को चिह्नित करने के लिए राज्य में पूर्व में झारखंड वनांचल चिह्नितीकरण आयोग था, अब इसमें से वनांचल शब्द हटा लिया गया है। अब यह आयोग आंदोलनकारियों को चिह्नित करने के अलावा उन्हें सम्मान देने, सुविधा लाभ प्रदान करने के मकसद से काम करेगा।
हेमंत सरकार ने फैसला लिया है कि जेल जाने वाले आंदोलनकारियों को भी सरकार सम्मान पेंशन के तौर पर आर्थिक सहायता देगी। जेल में 6 माह से अधिक रहने वाले आंदोलनकारियों को राज्य सरकार प्रतिमाह 7,000 रुपये सम्मान पेंशन राशि देगी। वहीं आंदोलनकारियों की मृत्यु हो जाती है, तो यह लाभ उसके एक आश्रितों को दिया जाएगा। रिटायर्ड आईएएस अधिकारी की अध्यक्षता में गठित आयोग का कार्यकाल एक साल का होगा। आयोग मिले आवेदनों के आधार पर दस्तावेजों की जांच कर आंदोलनकारियों और उनके आश्रितों को चिन्हित करेगा। हालांकि आश्रितों के पहचान के संबंध में अंतिम निर्णय गृह विभाग का होगा।
पुलिस फायरिंग अथवा जेल में मरे या दिव्यांग हुए (40 प्रतिशत से ज्यादा) आंदोलनकारियों के आश्रित परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरियों में सीधी भर्ती दी जाएगी। यह भर्ती तीसरी व चतुर्थ वर्गीय पदों के लिए होगी। इसके लिए सरकार द्वारा 5 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण की व्यवस्था की जाएगी, जिसका लाभ आंदोलनकारी परिवार को जीवन में एक बार ही मिलेगा। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने सोमवार को सोशल मीडिया के माध्यम से यह जानकारी दी कि जेल में तीन माह से कम समय रहने वाले आंदोलनकारियों या उनके एक आश्रितों को 3500 रुपये प्रतिमाह मिलेगी। जबकि जेल में तीन माह से छह माह तक रहने वाले आंदोलनकारियों या उनके एक आश्रितों को 5,000 रुपये प्रतिमाह मिलेगा। वहीं जेल में 6 माह से अधिक समय तक रहने वाले आंदोलनकारियों या उनके एक आश्रितों को 7,000 रुपये प्रतिमाह मिलेगा।