कोरोना से हुई मौत तो अपनों ने छोड़ दिया साथ, मुस्लिम युवकों ने किया अंतिम संस्कार.

City Post Live

सिटी पोस्ट लाइव :एक तरफ दुनिया भर में पैन इस्लामिज्म की बात हो रही है, राजनीतिक दल हिन्दू-मुस्लिम की राजनीति कर रहे हैं, दूसरी तरफ आम लोग सांप्रदायिक सद्भाव का मसाल पेश कर रहे हैं. बिहार के गया में सामाजिक समरसता की एक तस्वीर देखने को मिली है. जिला के रानीगंज में 58 वर्षीय प्रभावती देवी पति दिग्विजय प्रसाद की कोरोना से मौत (Corona Death) हो गई. प्रभावती देवी की मौत के बाद उनके परिवार से लेकर आसपास के लोग कोरोना के डर से अर्थी को कंधा देने तक नहीं पहुंचे. कोई उनके दाह-संस्कार तक में शामिल होने को तैयार नहीं  था.

जब यह खबर मुस्लिम नौजवानों को मिली तो वो तुरंत मदद के लिए पहुँच गए. महामारी का परवाह किए बिना युवकों ने न केवल अर्थी को अपना कंधा देते हुए शमशान घाट पहुंचाया बल्कि पूरी तैयारी के साथ मुस्लिम युवकों ने उनका अंतिम संस्कार किया. अंतिम संस्कार करने वालों में मोहम्मद सगीर आलम, मोहम्मद रफीक मिस्त्री, मोहम्मद सुहैल, फारूक उर्फ लड्डन जी, हाफिज कलीम, बसंत यादव और उनके बेटे आदि मौजद रहे. मुसलमान युवकों की इस इंसानियत की चर्चा हर तरफ हो रही है. अंतिम संस्कार करने वाले युवकों का कहना था कि इस दुनिया में इंसानियत ही सबसे बड़ा धर्म है जो कि किसी जाति या मजहब के आड़े नहीं आना चाहिए.

दरअसल, बिहार का गया जिला भी कोरोना से खासा प्रभावित है. जिले में कोरोना के तेजी से हो रहे संक्रमण के साथ ही मरीजों की मौत का सिलसिला भी जारी है. बहरहाल मुस्लिम युवकों के इस काम की चहुंओर सभी की जुबान से चर्चा और प्रशंसा हो रही है.

Share This Article