राजस्थान में कांग्रेस के अंदर ‘कांग्रेस तोड़ो’ लड़ाई तेज.

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सिटी पोस्ट लाइव :राहुल गांधी कोई महत्वपूर्ण जिम्मेवारी लेना नहीं चाहते.आज कांग्रेस पार्टी में राष्ट्रिय अध्यक्ष पद को लेकर घमशान मचा हुआ है.इस पद पर आसीन होने से पहले ही अशोक गहलोत ने केन्द्रीय नेत्रित्व और पार्टी आलाकमान सोनिया गांधी को अपनी राजनीतिक ताकत का अहसास करा दिया है.कांग्रेस अध्यक्ष पद चुनाव से पहले राजस्थान में सियासी उठापटक शुरू हो गई है. पार्टी दो खेमों में बंट गई है.गहलोत दल के अब तक 92 विधायकों ने इस्तीफे का ऐलान कर दिया है. इन विधायकों का कहना है कि राजस्थान के विधायक जिसके साथ होंगे, नेता वही होगा. हमें सचिन पायलट से नफरत नहीं है लेकिन गहलोत जी को हमारी बात सुननी चाहिए थी.

राजस्थान की कांग्रेस सरकार पर एक बार फिर संकट मंडरा रहा है. अशोक गहलोत गुट के विधायकों ने इस्तीफा देने का मन बना लिया है. गहलोत सरकार में मंत्री और विधायाक खाचरियावास ने दावा किया है गहलोत गुट के पास 92 विधायक हैं जो विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी के पास जाकर अपना इस्तीफा सौंप देंगे. बताया जा रहा है कि गहलोत गुट के विधायक सीएम फेस के तौर पर सचिन पायलट की दावेदारी से नाराज हैं. विधायकों का कहना है कि अशोक गहलोत ने उनसे पूछकर यह फैसला नहीं लिया इसलिए हमने इस्तीफा देने का एलान किया है. उनका यह भी कहना है कि पायलट से उनकी नाराजगी नहीं है.2023 में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले ये संकेत अच्छे नहीं हैं.

राजधानी जयपुर में स्थित सीएम आवास पर 25 सितंबर यानी आज सीएम आवास पर विधायक दल की बैठक होने वाली थी. बैठक का समय 7 बजे था जो शुरू ही नहीं हो पाई. इसे बाद में रद्द करना पड़ा. विधायक दल की बैठक शुरू होने से पहले विधायकों की एक बैठक विधायक शांति धारीवाल के घर पर भी हुई थी. वहां सचिन पायलट के नाम पर जैसे चर्चा शुरू हुई गहलोत गुट के विधायक खफा हो गए. वहां मौजूद 92 विधायकों ने इस्तीफे का ऐलान कर दिया. गहलोट गुट के सभी विधायक विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी को अपना इस्तीफा सौंपेंगे.

राजस्थान में गहलोत और सचिन पायलट के बीच की यह लड़ाई कोई आज की नहीं है. इससे पहले भी दोनों नेताओं के बीच सबकुछ ठीक न होने की खबर आती रही है. कई बार तो ऐसी भी नौबत आई कि लगा पायलट खुद बीजेपी में शामिल हो सकते हैं. हालांकि बाद में इन खबरों का खंडन किया गया. आज गहलोत गुट के 90 से ऊपर विधायकों के इस्तीफे के ऐलान ने एक बार फिर स्पष्ट कर दिया कि प्रदेश कांग्रेस का एक धड़ा अब भी सचिन पायलट को राजस्थान के मुख्यमंत्री के रूप में नहीं देखना चाहता है. प्रताप सिंह खाचरियावास ने कहा है कि अपने गुट के विधायकों में से ही किसी को एक को सीएम बना सकते थे पर ऐसा नहीं हुआ.

राजस्थान में अगले साल चुनाव हैं। 2023 में होने वाले विधानसभा चुनाव में यह लड़ाई और खुलकर सामने आ सकती है. पायलट-गहलोत गुट के बीच 2022 की यह लड़ाई भाजपा को भी फायदा पहुंचा सकती है. मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ने सीधे तौर पर कहा कि हम सचिन पायलट को किसी भी तौर पर सीएम पद के रूप में नहीं देखना चाहते. उनका कहना है कि सचिन ने बीजेपी के साथ मिलकर सरकार गिराने की कोशिश की थी. हम भाजपा की इस साजिश को कामयाब नहीं होने देंगे.

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