रोड शो बनाम रोड शो पाटलीपुत्रा की लड़ाई, सबसे बड़ा सवाल मीसा या रामकृपाल?
सिटी पोस्ट लाइवः पाटलीपुत्रा लोकसभा सीट पर भी लड़ाई बेहद दिलचस्प है। दिलचस्प इसलिए है क्योंकि तस्वीर तकरीबन 2014 जैसी हीं है। 2014 में भी बीजेपी उम्मीदवार रामकृपाल यादव और राजद उम्मीदवार मीसा भारती के बीच थी। मीसा तब हार गयी थी। हांलाकि जब भी दो राजनीतिक दिग्गजों के बीच चुनावी मुकाबला होता है तो दोनों दिग्गजों की साख दांव पर होती है लेकिन पाटलीपुत्रा सीट पर मीसा भारती का बहुत कुछ दांव पर लगा है। दरअसल मीसा भारती को हारने के बाद भी राजद ने राज्यसभा भेजा। राज्यसभा सासंद होने के बावजूद राजद ने पार्टी के दूसरे दिग्गज नेता और पाटलीपुत्रा सीट के प्रबल दावेदार भाई विरेन्द्र की दावेदारी को दरकिनार कर मीसा भारती को टिकट दिया है जाहिर है मीसा के लिए चुनौती है रामकृपाल यादव से अपनी हार का बदला लेने का।
लेकिन यह लड़ाई इतनी आसान नहीं है बल्कि मीसा भारती के लिए ज्यादा मुश्किल है क्योंकि मुकाबला बीजेपी के स्टार प्रचारक और कद्दावर नेता रामकृपाल यादव से है। रामकृपाल यादव एक अलग तरह की सियासत के लिए जाने जाते हैं और उनकी सियासत किसी खास वोटबैंक की मुहताज नहीं रही है बल्कि रामकृपाल का जो पाॅलिटिकल स्टाईल है उससे भी कहीं न कहीं मीसा भारती की राह मुश्किल होगी। बिहार के डिप्टी सीएम सुशील मोदी सरीखे दिग्गज नेता जब पाटलीपुत्रा के किसी इलाके में सभा करते हैं तो यह कह देते हैं कि रामकृपाल यादव जैसा सांसद कोई नहीं। नीतीश की तरह वे भी काम के नाम पर वोट मांग रहे हैं।
दूसरी तरफ 2014 के मुकाबले 2019 में भले हीं वो कथित मोदी लहर वाली बात नहीं हो लेकिन एक अंडर करंट है, और इस अंडर करंट का फायदा जाहिर तौर पर बीजपी उम्मीदवार को मिलता नजर आ रहा है। पाटलीपुत्रा की चुनावी लड़ाई रोड शो बनाम रोड शो की भी है। दोनों हीं राजनीतिक खेमों की ओर से इस इलाके में खूब रोड शो हो रहा है। मीसा भारती के लिए राजद के कार्यकर्ता भी रोड शो कर रहे हैं और रामकृपाल यादव के लिए बीजेपी कार्यकर्ताओं का रोड शो हो रहा है। दोनों के बीच कांटे की टक्कर है और किसी को कम करके नहीं आंका जा सकता।
पाटलीपुत्रा सीट का चुनावी इतिहास बेहद दिलचस्प है। 2009 में इस सीट से लालू यादव अपने शार्गिद रहे रंजन यादव से हार गये। 2014 में मीसा भारती रामकृपाल यादव से हार गयी। इसलिए मीसा भारती के लिए यह लड़ाई साख का सवाल है क्योंकि इस सीट से दोनों बार हार की वजह कभी लालू के करीबी नेता हीं रहे हैं। फिलहाल पाटलीपुत्रा के लिए सबसे बड़ा सवाल यही है मीसा या रामकृपाल?