सत्ता में वापसी के लिए लालूवाद को छोड़ना चाहते हैं तेजस्वी यादव.

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सत्ता में वापसी के लिए लालूवाद को छोड़ना चाहते हैं तेजस्वी यादव.

सिटी पोस्ट लाइव : “भगवान राम बनकर आपको सबरी के बैर खाने होंगे. कृष्ण की तरह सुदामा के चरण भी धोने होंगे, तब जाकर 2020 में हमारी सरकार बनेगी. अगर आप चाहते हैं कि 2020 में हमारी सरकार सत्ता में आए तो सबसे पहले आपको अपना आचरण और स्वभाव बदलना होगा” जाहिर है तेजस्वी यादव भी बीजेपी के राम को ही अपना आदर्श मान रहे हैं. तेजस्वी यादव सत्ता में आने के लिए आज लालूवाद को  दांव पर लगाने को भी तैयार हैं. उन्‍होंने अपनी रैली के जरिये अपने लोगों के बीच एक बड़ा संदेश दिया है. तेजस्वी ने कहा कि आज हमारी पार्टी बदल रही है और अगर पहले कभी हमारी पार्टी से कोई भूल-चूक हुई हो तो आप उसे भूला दें. हम बदलाव की ओर हैं और आप सभी को यह विश्वास भी दिलाते हैं कि ना सिर्फ हम आप सबको साथ लेकर चलेंगे बल्कि आपके विश्वास पर सौ फीसदी खरे भी उतरेंगे.

तेजस्वी ने कहा कि आप अगर चाहते हैं कि 2020 में हमारी पार्टी की सरकार बिहार में बने तो आपको कृष्ण बनकर सुदामा के पैर भी धोने होंगे. भगवान राम बनकर सबरी के बैर भी खाने होंगे. दरअसल, इस नए फॉर्मूले से तेजस्वी पार्टी पर लगे उस दाग को धोना चाहते हैं जिसके चलते अगड़े और दलित उनसे बहुत दूर चले गए हैं.तेजस्‍वी ने अपने कार्यकर्ताओं से कहा है कि 2020 में हर हाल में आरजेडी की ही सरकार बनेगी, लेकिन इसके लिए सबको अपने आचरण और व्यवहार में बदलाव लाना होगा.

दरअसल, 90 के दशक में जब लालू मंडल के रास्ते बिहार की सत्ता में आए तब उन्‍होंने अगड़ों के खिलाफ एक भड़काऊ नारा दिया था ‘भूरा बाल साफ करो’. लालू का सीधा हमला तब राजपूत-भूमिहार-ब्राह्मण और लाला (कायस्थ) समाज पर था, जिस नारे के बाद समूचे बिहार में पिछड़े लालू के साथ गोलबंद हो गए और फिर लालू यादव ने बिहार में 15 सालों तक शासन किया, लेकिन इसका सबसे बड़ा रिएक्शन अगड़ों पर हुआ. यही वजह रही कि अगड़े आरजेडी से हमेशा हमेशा के लिए बहुत हो गए. इसके साथ ही लालू-राबड़ी के 15 सालों के शासनकाल में करीब 12 नरसंहार भी हुए जिसमें अगड़ों के साथ-साथ सबसे ज्यादा दलितों की इसमें जान गईं, जिसके बाद से दलित भी लालू की पार्टी से दूर होते चल गए.

नतीजा ये हुआ कि आखिर में लालू के साथ मुसलमान और यादव (माई समीकरण) ही बच पाए जो आज भी लालू यादव के साथ मजबूती से खड़े हैं. तेजस्वी को इस बात का बखूबी एहसास हो गया है कि केवल अपने पुराने समीकरण के दम पर वो सत्ता में नहीं लौट सकते. इसलिए तेजस्वी अगड़ों-पिछड़ों और दलितों को अपने साथ जोड़ना चाहते हैं.

तेजस्वी यादव के विचार और रणनीति में आये इस बदलाव  पर विरोधी पार्टियां तंज कस रही हैं.JDU के प्रवक्ता राजीव रंजन प्रसाद कहते हैं कि अगड़े और पिछड़े-दलितों ने जो लालू राज में खुद पर अत्याचार झेला है वो कभी नहीं भूल पाएंगे. तेजस्वी ने अपनी वापसी में बहुत देर कर दी है और अब उनकी ट्रेन छूट गई है. अब बिहार की जनता तेजस्वी और आरजेडी के झांसे में हरगिज़ नहीं आने वाली है. बीजेपी प्रवक्ता निखिल आनन्द ने भी तेजस्वी पर चुटकी लेते हुए कहा कि आज वोट की चिंता हुई तो उन्हें राम जी याद आने लगे हैं. भगवान राम भी सत्य के साथ होते हैं. सत्य के रास्ते केवल सीएम नीतीश कुमार चल रहे हैं, तो तेजस्वी का रास्ता असत्य और अधर्म का है जो उनको जेल तक पहुंचाएगा.

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