मांझी-कुशवाहा-सहनी को छोड़ CONG के साथ चुनाव लड़ना चाहते हैं तेजस्वी?
सिटी पोस्ट लाइव : RJD नेता तेजस्वी यादव (Tejaswi Yadav) अपने सहयोगी दलों की नाराजगी से बेपरवाह हैं. उनकी पार्टी के नेता भी सहयोगी दलों के नेताओं को कोई भाव नहीं दे रहे.महागठबंधन के नेत्रित्व की बात हो या फिर सीटों के बंटवारे का सवाल, RJD अपने सहयोगियों को लोक सभा चुनाव के बाद खास तवज्जो नहीं दे रही. सूत्रों के अनुसार वीआइपी पार्टी और हम पार्टी के नेता BJP के संपर्क में हैं.ऐसे में ये सवाल अहम् हो गया है कि आरजेडी 2020 के चुनाव में एकला चलो की राह पर तो नहीं है?
राजनीतिक जानकारों की मानें तो झारखंड की जीत में लालू के किंगमेकर बनने के बाद से आरजेडी के नेता-कार्यकर्ता उत्साहित हैं. तेजस्वी यादव तो घटक दलों के नेताओं की लगातार उपेक्षा तो कर ही रहे हैं साथ ही पार्टी के अध्यक्ष जगदानंद सिंह भी उनकी नाराजगी से बेपरवाह दिख रहे हैं. तेजस्वी यादव के करीबी माने जाने वाले विधायक विजय प्रकाश ने भी सभी 243 सीटों पर चुनाव लड़ने का संकेत देकर महागठबंधन के भीतर भूचाल ला दिया है. इस बयान के बाद से ही पूर्व सीएम जीतनराम मांझी और उनकी पूरी टीम ने जगगदानंद सिंह से लेकर पार्टी के अधिकांश नेताओं के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है.
हालांकि ये लालू यादव की रणनीति भी हो सकती है अपने सहयोगी दलों पर दबाव बनाने की ताकि विधान सभा चुनाव में लोक सभा चुनाव की तरह ज्यादा सीटों के लिए वो दबाव नहीं बना पायें. तेजस्वी को सीएम चेहरा और लालू को कोर्डिनेटर घोषित कर आरजेडी गठबंधन के सभी दलों पर किस हदतक दबाव बना पाती है, ये तो आनेवाला समय बतायेगा. जगदानंद सिंह और विजय प्रकाश ये दोनों तेजस्वी के सबसे भरोसेमंद नेता हैं. इनके बयान को हलके में नहीं लिया जा सकता.जाहिर है कि आरजेडी एक सोंची समझी रणनीति के तहत अपने सहयोगियों के प्रति आक्रामक है. सूत्रों के अनुसार आरजेडी मांझी, मुकेश सहनी और उपेंद्र कुशवाहा को छोड़कर और कांग्रेस को साथ लेकर चुनाव मैदान में उतरने की तैयारी में है.अगर इन दलों को NDA में जगह नहीं मिली,जिसकी संभावना ज्यादा है, तो उपेन्द्र कुशवाहा, मुकेश सहनी, जीतन राम मांझी, पप्पू यादव और ओवैशी सभी मिलकर एक नया मोर्चा बना सकते हैं.ओवैशी की पार्टी बिहार की कमान नागमणि को सौंप सकती है.
महागठबंधन में मचे कोहराम के बीच आरजेडी के एक बड़े नेता रघुवंश प्रसाद सिंह की एक चिट्ठी ने भी जगदानंद के फैसलों पर सवाल उठा दिया है. आरजेडी सूत्रों की मानें तो रघुवंश प्रसाद सिंह सहयोगी दलों की उपेक्षा से बेहद नाराज हैं.पार्टी के सीनियर नेता शिवानन्द तिवारी अब डैमेज कंट्रोल में जुट गए हैं.आरजेडी का एक धड़ा अकेले चुनाव लड़ने के पक्ष में है तो दूसरा धड़ा इसे आत्मघाती बता रहा है. रघुवंश प्रसाद जैसे नेता को यह फार्मूला मंजूर नहीं.