सिटी पोस्ट लाइव : बिहार में हुए उपचुनाव के दोनों सीटों पर जदयू ने कब्ज़ा फिर से जमा लिया है. जिसके बाद एक तरफ जदयू खेमे में ख़ुशी की लहर है तो वहीं राजद के खेमे में सन्नाटा पसरा दिखा. हालांकि हार को तेजस्वी ने ये कहकर ताल दिया कि हमारे पास खोने के लिए कुछ नहीं है. बिहार में राजद पहले भी बड़ी पार्टी थी और अब भी सबसे बड़ी पार्टी ही है. इसके साथ ही तेजस्वी ने ट्वीट कर मतदाताओं को धन्यवाद किया. उन्होंने लिखा हमने मजबूती के साथ दो सीटों पर चुनाव लड़ा। 5 सत्ताधारी पार्टियों के गठबंधन के विरुद्ध राजद ने पहले से अधिक मत प्राप्त किए। मतदाता मालिकों का हार्दिक धन्यवाद। सत्ता में बैठ गांव के हालात को भूल गए लोगों को कथित विकास का दर्शन कराया। बिहार की जनता बदलाव चाहती है और बदलाव होकर रहेगा।
हमने मजबूती के साथ दो सीटों पर चुनाव लड़ा। 5 सत्ताधारी पार्टियों के गठबंधन के विरुद्ध राजद ने पहले से अधिक मत प्राप्त किए।मतदाता मालिकों का हार्दिक धन्यवाद।
सत्ता में बैठ गांव के हालात को भूल गए लोगों को कथित विकास का दर्शन कराया।बिहार की जनता बदलाव चाहती है और बदलाव होकर रहेगा।
— Tejashwi Yadav (@yadavtejashwi) November 2, 2021
बता दें इस जीत से गदगद जदयू ने पार्टी दफ्तर में दिवाली और होली एक साथ मनाई. धनतेरस के मौके पर जदयू दफ्तर में जमकर आतिशबाजी हुई यही नहीं कार्यकर्ताओं ने एक दूसरे को लड्डू खिलाये और लोगों में बांटे. जबकि राजद दफ्तर सुनसान दिखाई दिया. गौरतलब है कि इन दोनों सीटों पर जीत के लिए राजद और जदयू ने पूरी जान झोंक दी थी. राजद ने तो कांग्रेस तक को अलग कर दिया था. दोनों सीटों पर चुनाव लड़ने के लिए कांग्रेस ने महागठबंधन तोड़ दिया और अकेले मैदान में कूद पड़े. यही नहीं राजद की जीत के लिए बीमार लालू प्रचार करने पहुंचे और जीत का दावा किया. वहीं जदयू के लिए राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह दिन रात एक कर रखे थे. जबकि नीतीश कुमार लगातार सभाएं कर अपनी विकास यात्रा की व्यख्या करते दिखे.
नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने लाख कोशिशें की लोगों को ये समझाने के लिए कि सत्ताधारी नेता शहर में बैठकर गांव के हालात को भूल गए लोगों को कथित विकास का दर्शन करा रहे हैं. बिहार को बदलाव की जरुरत है. यही बिहार को उन्नति, रोजगार और शिक्षा के क्षेत्र ने अव्वल बनाना है तो नीतीश कुमार को हटाना होगा. लेकिन शायद इन दोनों सीटों पर जदयू के कोर वोटर ये बात बिल्कुल नहीं समझें और जदयू को फिर से सीटें सौंप दी. हालांकि उपचुनाव में तेजस्वी के लिए अच्छी भी खबर रही कि उन्हें पिछले चुनाव से अधिक वोट मिले हैं.