कोरोना संकट से जूझ रही बिहार सरकार से आर-पार के मूड में हैं शिक्षक.
सिटी पोस्ट लाइव : कोरोना के संक्रमण के संकट से जूझते बिहार सरकार के लिए शिक्षक सबसे बड़ा सरदर्द बन गए हैं.: पटना प्रमंडल माध्यमिक शिक्षक संघ ने सरकार पर बड़ा आरोप लगाते हुए कहा है कि सरकार असंवैधानिक रूप से दमनात्मक कार्रवाई कर शिक्षकों की एकता खंडित नहीं कर सकी तो अब वह अपने अधिकारियों के द्वारा लगातार भ्रम और लालच का पासा फेंककर उनकी एकता को खंडित करने की साजिश रच रही है जो कभी पूरा नहीं होगा.
गौरतलब है कि शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने लॉकडाउन के समय में व्हाट्सएप पर ही शिक्षकों को योगदान करने का आदेश दिया है.संघ ने इस आदेश पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि सरकार पहले हड़ताली शिक्षकों की मांगों को पूरा करे. उसका कोई भी प्रलोभन हड़ताली शिक्षकों की एकता को तोड़ नहीं सकती है.उन्होंने कहा कि नियोजित शिक्षकों पर हो रहे शोषण, हकमारी और नाइंसाफी के खिलाफ पिछले 25 फरवरी से सूबे के सभी माध्यमिक एवं उच्च माध्यमिक विद्यालयों में कार्यरत 40 हजार शिक्षक आंदोलनरत हैं तथा विद्यालयों में पूर्ण तालाबंदी और तमाम शिक्षक अनिश्चितकालीन हड़ताल के साथ सभी सरकारी कार्यों में असहयोग कर रहे हैं.
शिक्षक संघ का आरोप है कि कोरोना वायरस जैसे वैश्विक महामारी के कारण एक ओर जहां पूरे देश की जिंदगी ठहर गई है, वहीं राज्य सरकार हड़ताली शिक्षकों के खिलाफ दमनात्मक कार्रवाई कर रही है.उन्हें निलंबित किया गया और उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराते हुए इनके द्वारा किए गए कार्य अवधि का वेतन ही रोक दिया गया.विभागीय पदाधिकारियों के द्वारा भी विभिन्न प्रकार से इन्हें परेशान और प्रताड़ित कर संघर्षरत शिक्षक साथियों की एकता को खंडित कर हड़ताल को कमजोर करने की साजिश लगातार जारी है.
राज्य के कुल आबादी के 80 प्रतिशत बच्चे सरकारी विद्यालयों में पढ़ते हैं. लेकिन उनके शिक्षा और बेहतर भविष्य के निर्माण के प्रति सरकार गंभीर और संवेदनशील नहीं है. शिक्षक संघ के नेता चन्द्र किशोर कुमार ने कहा कि हड़ताल को आज 37 दिन हो गए मगर सरकार के द्वारा किए गए तमाम साजिशों को शिक्षकों की अटल चट्टानी एकता खंडित नहीं हुई है और न ही होनेवाली है.उन्होंने कहा कि वो सरकार को यह आगाह करा देना चाहते हैं कि वे तिकड़मी चाल व साजिश से बाज आए.