सिटी पोस्ट लाइव : रोहतास जिले के एक गांव में भुखमरी की कगार पर पहुंचे चार बच्चों की दास्तां सुनकर किसी का रूह कांप जाएगा. रिपोर्ट के अनुसार इन बच्चों को जन्म देने वाली माँ तकरीबन तीन वर्ष पहले परिवारिक आर्थिक तंगी से परेशान हो कर अपने पति सहित चार माशूम बच्चों को छोड़कर भाग गई थी. पिता जैसे तैसे इन चार बच्चों का पालन पोषण कर रहा था लेकिन लॉकडाउन (Lockdown) के दौरान पिता की अचानक तबियत खराब हो जाती है जहाँ एक तरफ आर्थिक तंगी वही बीमारी उनकी मौत कारण बन गई. उनके पिता की मौत के बारे में बताया जा रहा है कि लॉकडाउन के समय इन बच्चों के पिता की तबीयत बहुत ज्यादा खराब हो गई लेकिन लॉकडाउन के समय किसी भी डॉक्टर के द्वारा इनका समुचित इलाज नहीं होने के कारण इन बच्चों के पिता की मौतहो गई। जहाँ के तरफ माँ का घर छोड़ कर भाग जाना वही दूसरी तरफ अचानक पिता का भी साया सर से उठ जाना मानो इन बच्चों पर कहर टूट पड़ा बच्चे दाने-दाने को मोहताज हो गये। हालांकि सोशल मीडिया में आने के बाद कुछ समाजसेवी संस्थाओं व सरकारी अधिकारियों ने इन बच्चों की मदद के लिए हाथ बढ़ाया लेकिन उसमें भी गाँव वालों द्वारा जात-पात एवं ओंछि राजनीत के कारण उन लोगों ने भी अपना हाथ समेट लिया
ये मामला रोहतास के तिलौथू प्रखंड अंतर्गत चंदनपुरा पंचायत के कोडर गांव का है. इन चार बच्चों को देखकर आपका कलेजा पसीज जाएगा. मात्र 9 साल से लेकर 4 साल तक के चार भाई-बहनों को 3 साल पूर्व गरीबी के कारण इनकी माँ छोड़ कर चली गई और लॉकडाउन में इलाज के अभाव में इनके पिता की मौत हो गई. अब ये बच्चे अनाथ हो कर दो वक्त की रोटी को मोहताज है. रिपोर्ट के मुताबिक़ रोहतास के तिलौथू प्रखंड के कोडर गांव निवासी सुरेंद्र मिश्र का पिछले महीने 23 मई को निधन हो गया उसके बाद ये बच्चे अनाथ हो गए. बताया जा रहा है कि तीन साल पहले इनकी मां अचानक घर से कहीं चली गई, फिर लौट कर कभी नही आई तभी से मजदूर पिता इन चार बच्चों की देखभाल जैसे तैसे कर रहा था. लेकिन लॉकडाउन में काम नहीं मिलने के बाद सुरेंद्र मिश्र बीमार भी रहने लगा और अचानक 23 मई को उसकी मौत हो गई. पिता की मौत के बाद यह चारों बच्चे बेसहारा हो गए. स्थिति यह है कि इनके पास रहने लायक घर भी नहीं है मात्र 100 वर्गफुट में एक कच्चा खपड़ैलनुमा मकान है।बरसात के दिनों में कच्चे घर की छत से बारिश की बूंदे टपकती रहती है, तो मिट्टी के दीवार कब गिर जाए कोई नहीं जानता। आस-पास के लोग कुछ चावल या सूखा राशन दे देते हैं तो 8 साल की नंदिनी किसी तरह चूल्हा जोड़कर चावल पका लेती है और वही चावल दोनों टाइम खाकर चारों भाई बहन अपने पेट की तपिश बुझा कर सो जाते है।
पिता थे तो 4 में से दो बच्चे जय कृष्ण तथा नंदनी स्कूल भी जाते थे लेकिन लॉकडाउन के बाद से गांव में स्कूल भी बंद है और पिता के मौत के बाद अब लगता भी नहीं कि वो स्कूल दोबारा जा पाएंगे. 9 साल से 4 साल तक हैं सभी बच्चों की उम्र। आस-पास के लोग इनकी थोड़ी बहुत मदद कर देते हैं. लेकिन जर्जर हो चुके मिटटी के घर में बिना भोजन ये नन्हे-मुन्ने कैसे अपने दिन काटते होंगे ये बड़ा प्रश्न है। इन चार भाई-बहनों में जयकिशन 9 साल का है, तो नंदिनी 8 साल से भी कम की है. वहीं स्वीटी 6 साल की है और सबसे छोटा प्रिंस 4 साल का है. जिसे यह समझ में भी नहीं आता है कि उसके मम्मी-पापा कहाँ चले गये वह अपने-आप में मुस्कुराता भी है. लेकिन उसे यह समझ नहीं कि वह किस हालात से गुजर रहा है. गांव के लोग उनके रिश्तेदारों से संपर्क कर रहे हैं कि कहीं कोई ऐसा मिल जाए? जो इन बच्चों का पालनहार बने. गांव के लोग थोड़ी बहुत मदद कर देते हैं. फिलहाल उससे इन लोगों का गुजारा चल रहा है, लेकिन सवाल उठता है कि यह कब तक चलेगा. जब तक सरकारी स्तर पर इन्हें कुछ मदद नहीं मिलती तब तक इनके भविष्य को संवारा नहीं जा सकता.
इस मामले में तिलौथू प्रखंड के प्रखंड बिकास पदाधिकारी BDO मून आरिफ रहमान से जब बातचीत की कोशिश की गई तो उन्होंने फोन उठाना भी मुनासिब नहीं समझा। वही प्रखंड सूत्रों के हवाले से पता चला है कि बीडीओ साहब वरीय पदाधिकारियों द्वारा इन बच्चों के मुद्दे पर किसी भी मीडियाकर्मी से बात नहीं करने का आदेश दिया गया है। वही कुछ दिन पूर्व कुछ समाजसेवियों द्वारा सोशल मीडिया पर इन बच्चों का फोटो एवं वीडियो को वायरल किया गया था साथ ही कुछ स्थानीय पत्रकारों द्वारा प्रमुख्ता से इन बच्चों की की खबर को प्रकाशित किया था जिज़ संज्ञान में लेकर तिलौथू के ही एक सामाजिक संस्था द्वारा कोडर गांव जाकर इन बच्चों को बाल गृह में ले जाने का प्रयास किया गया लेकिन गांव वालों की ओछी राजनीत एवं संकीर्ण मानसिकता की वजह से इन बच्चों को उस एनजीओ को सौंपा नही जा सका।
बहरहाल जो भी हो लेकिन अभी जरूरत है इन चारों अनाथ बच्चों के नाथ की, इन मासूम बच्चों की भविष्य को देखते हुए इन्हें मदद एवं इनके परवरिश का इंतजाम करने की सरकार और प्रशासन द्वारा भी इस मामले को गंभीरता संज्ञान में लेते हुये इन बच्चों के अच्छी परवरिश का इंतेजाम किया जाना चाहिए ताकि इनका भविष्य उज्ववल हो सके।
रोहतास से विकाश चन्दन की रिपोर्ट