सिटी पोस्ट लाइव: समान काम के लिए समान वेतन के मामले में सुप्रीम कोर्ट बिहार के नियोजित शिक्षकों के पक्ष में अपना फैसला सुनाने वाला है. गुरुवार को ही सुप्रीम कोर्ट से इस पर फैसला आना था, लेकिन फैसला इस महीने के आखिरी तक टल गया है. अगली सुनवाई 31 जुलाई को होगी और फैसला इसी दिन आ जाने की उम्मीद है. गौरतलब है कि बिहार के 3.7 लाख नियोजित शिक्षकों की मांग को मानने से सरकार ने इनकार कर दिया है. गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में समान कार्य के लिए समान वेतन पर हो रही सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने बिहार सरकार का समर्थन करते हुए समान कार्य के लिए समान वेतन का विरोध किया था
सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार ने बिहार सरकार के तर्क का समर्थन करते हुए अपने हलफनामे में साफ़ कह दिया कि नियोजित शिक्षकों को समान कार्य के लिए समान वेतन देना संभव नहीं है. केंद्र सरकार की दलील है कि इन नियोजित शिक्षकों को समान कार्य के लिए समान वेतन देने पर लगभग 40 हजार करोड़ का अतिरिक्त भार आयेगा. बिहार सरकार नियोजित शिक्षकों के वेतन पर सालाना 10 हजार करोड़ रुपये खर्च करती है. अगर सुप्रीम कोर्ट से पटना हाईकोर्ट जैसा फैसला आता है, तो नियोजित शिक्षकों का वेतन ढाई गुना बढ़ जायेगा.इससे सरकारी खजाने पर 11 हजार करोड़ रुपये अतिरिक्त बोझ बढ़ेगा.
गौरतलब है कि पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने मामले की अंतिम सुनवाई की तारीख 12 जुलाई के लिए तय की थी. केंद्र सरकार ने अपना पक्ष रखने के लिए और वक्त मांगा था. केंद्र सरकार ने कहा था कि एक राज्य को सामान काम के लिए सामान वेतन दिया जाता है तो दूसरे राज्यों से भी मांग उठने लगेगी. पिछली सुनवाई में केंद्र सरकार ने कहा था कि हम बिहार को आर्थिक तौर पर कितनी मदद कर सकते हैं, ये हम कोर्ट को अवगत कराएंगे.लेकिन अभीतक सरकार ने अपने फैसले से अवगत नहीं कराया है. कोर्ट ने अगली तारीख तक सरकार को हर हालत में अपना पक्ष रखने का निर्देश दिया है ताकि उसी दिन फैसला हो सके.सुप्रीम कोर्ट नियोजित शिक्षको को समान कार्य के लिए सामान वेतन देने के पक्ष में है लेकिन अपना फैसला सुनाने से पहले वह सरकार का पक्ष एकबार फिर से जानना चाहता है.गौरतलब है कि शिक्षकों के पक्ष में फैसला आने से राज्य सरकार के खजाने पर दस हजार करोड़ से ज्यादा का खर्च बढेगा .अगर सरकार ने इसे देने में असमर्थता जाहिर कर दिया तो मुश्किल पैदा हो सकती है.