कोरोना वायरस के हॉटस्पॉट बने सिवान के पंजवार गांव की कहानी.

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कोरोना वायरस के हॉटस्पॉट बने सिवान के पंजवार गांव की कहानी.

सिटी पोस्ट लाइव : बिहार में सिवान ज़िले का पंजवार गांव कोरोना का हॉटस्पॉट बन गया है. सिवान ज़िले में हॉटस्पॉट बने पंजवार गांव में कुल 23 लोग कोरोना पॉज़िटिव हैं. इन 23 कोरोना पॉज़िटिव में से 21 एक ही परिवार के हैं.पंजवार गांव में 21 मार्च के आसपास दो व्यक्ति खाड़ी देश से लौटे थे. इनमें से इस युवक ने ख़ुद को होम क्वारंटीन कर लिया था.लेकिन 21 मार्च को ओमान से आए युवक ने ख़ुद को क्वारंटीन नहीं किया था. यहीं युवक बाद में 3 अप्रैल को आए जाँच नतीजों में कोरोना पॉज़िटिव निकला.माना जा रहा है कि इसी युवक के कारण संक्रमण की पूरी चेन बनती चली गई. इसी युवक के परिवार के 21 लोग पॉज़िटिव पाए गए हैं.

पंजवार के लोग कि 21 मार्च को विदेश से आये इस  युवक से ख़ुद ही दूरी बरत रहे थे. लेकिन उसने अपने परिवार को एयरपोर्ट पर लगी मोहर दिखाकर ये भरोसा दिलाया कि वो सुरक्षित है. 31 मार्च को भी युवक का सिवान ले जाकर सैंपल लिया गया और छोड़ दिया गया. उसके यहां प्रशासन ने कोई पोस्टर भी नहीं चिपकाया.गांव वालों के मुताबिक़ 31 मार्च को जाँच का सैंपल लिए जाने के बाद ये युवक फिर वापस लौटा और उसने गांव में क्रिकेट भी खेला. युवक ने एक शादी के आयोजन में भी शिरकत की. लेकिन वहां लोगों ने सर्तकता बरतते हुए उन्हें वापस जाने को कह दिया.तीन अप्रैल को जब वो कोरोना पॉज़िटिव मिले, उनके बाद गांव में हड़कंप मचा. 10 हज़ार की मिश्रित आबादी वाले इस गांव के बीचों बीच स्थित इस युवक के घर के 50 मीटर के दायरे में आने वाले सभी व्यक्तियों और उनके साथ क्रिकेट खेलने वालों की सूची बनाकर सभी 97 लोगों को सिवान ले जाकर क्वारंटीन सेंटर्स में रखा गया है.

इस बीच गांव के लोग दहशत में हैं. पंजवार में 23 मामले सामने आने के बाद ड्रोन से नज़र रखी जा रही है. प्रखंड विकास पदाधिकारी संतोष कुमार मिश्र के अनुसार पूरे गांव में तीन स्तरीय बैरिकेडिंग की गई है. बिहार मिलिट्री पुलिस (बीएमपी) की दो यूनिट लगाई गई है. वहीं ड्रोन कैमरे के ज़रिए पाँच से सात किलोमीटर के दायरे पर नज़र रखी जा रही है. इसके अलावा एनडीआरएफ़ की टीम पूरे इलाक़े को सैनिटाइज़ करने में लगाई गई है. गांव की तरफ़ आने वाली सभी गलियों को सील कर दिया गया है. लोगों की रोज़ाना की ज़रूरतों मसलन दूध, सब्ज़ी, राशन आदि की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए सरकारी मशीनरी को लगाया गया है.”

सिवान बिहार का वो ज़िला है, जहां के मज़दूर बड़ी संख्या में खाड़ी देशों में वेल्डर, फ़िटर और अन्य तकनीकी नौकरियां काम करते हैं. इस एक छोटे से ज़िले में तक़रीबन तीन लाख पासपोर्ट धारी हैं. शुरुआती अप्रैल में बिहार में कोरोना के संदिग्ध मरीज़ों में से लगभग आधे सिर्फ़ सिवान ज़िले के थे, लेकिन सरकार गंभीर नहीं हुई. उल्टा झोला छाप डॉक्टर का प्रशिक्षण देने संबंधी पत्र निकालने पर सिविल सर्जन को निलंबित और डीपीएम को बर्ख़ास्त कर दिया गया. यानी जिस वक़्त आप का एक-एक पल क़ीमती है, उस वक़्त सिवान में स्वास्थ्य विभाग नेतृत्व विहीन रहा.

राज्य के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय इससे इंकार करते हैं कि सिवान में किसी तरह की लापरवाही बरती गई थी.वो कहते हैं कि कोरोना को लेकर सभी प्रोटोकॉल का पालन किया गया है और सरकार ने अपनी तरफ़ से पूरी सतर्कता बरती है.उन्होंने कहा “जब प्रशासनिक अमले को जानकारी मिली तो उन्होंने युवक के साथ-साथ उसके सभी नज़दीकी लोगो की सैंपलिंग की, इसमें लापरवाही कहाँ है?

पंजवार गांव को सिवान की सांस्कृतिक राजधानी कहा जाता है. आखर नाम की संस्था यहां हर साल दिसंबर महीने में भोजपुरी भाषा से जुड़े सांस्कृतिक आयोजन करवाती है, जिसमें देश विदेश से लोग हिस्सा लेने आते हैं.इसके अलावा गांव में 1940 में स्थापित लाइब्रेरी में पुराने अख़बारों के आर्काइव हैं.मशहूर शहनाई वादक बिस्मिल्ला खाँ के नाम पर संगीत महाविद्यालय, लड़कियों के लिए मैरीकॉम स्पोर्ट्स एकेडमी और 25 साल से यहां युवाओं की संस्था नवचेतना समिति सामान्य ज्ञान प्रतियोगिता करवाती है जो सिर्फ़ सिवान ही नहीं बल्कि आसपास के ज़िलों में बहुत मशहूर है.

पंजवार गांव में अपने रिटायरमेंट के बाद मिली राशि से कॉलेज खोलने वाले और गुरूजी के नाम से मशहूर घनश्याम शुक्ल की आवाज़ में उदासी है. वो कहते है, “पंजवार का नाम तो सांस्कृतिक आयोजनों के लिए साल दर साल अख़बार टीवी में आता था, अब कोरोना के हॉटस्पॉट बनने पर आ रहा है, तो मन को अच्छा नहीं लग रहा है.”

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