सिटी पोस्ट लाइव : बिहार में कोरोना कहर बरपा रहा है. लोगों को मामूली सर्दी जुकाम होने पर भी डर जा रहे हैं. यही वजह है कि लोगों को जब भी डर सताता है तो वे कोरोना में कोरोना के ईलाज में इस्तेमाल होने वाली दवाएं खाने लग जाते हैं. यही नहीं दवाओं का स्टॉक भी रकते हैं ताकि मार्केट जाने की जरुरत न हो. हालांकि बिना वजह दवा खाने के साइड इफेक्ट बहुत हैं, लेकिन इन दिनों लोगों के मन में कोरोना का भय इतना घर कर गया है, कि वे किसी भी तरह की लापरवाही बरतना नहीं चाहते हैं. वहीं बिहार में बढ़ते मरीजों की संख्या भी लगातार बढ़ रही है. यही वजह है कि मार्केट में जहां पहले एलोपैथिक मेडिसिन रेमडीसीविर सहित अन्य दवाओं की कमी पहले ही थी अब होम्योपैथिक और आयुर्वेदिक दवाओं की किल्लत भी सामने आ रही है.
खासकर आयुष मंत्रालय ने जिन होम्योपैथिक और आयुर्वेदिक दवाओं को कोरोना रोगियों के इलाज में कारगर बताया है, वे बाजार में मुश्किल से उपलब्ध हो रही हैं. कहीं-कहीं अधिक पैसे वसूलने की भी बात सामने आ रही है. होम्योपैथ दवा में मुख्य रूप से आर्सेनिक एल्बम और एस्पीडोस्पर्मा है. वही आयुर्वेदिक दवाओं में गिलोय सहित काढ़ा की सामग्रियां हैं. सूत्रों का कहना है कि इन सभी दवाओं को आयुष मंत्रालय ने कोरोना संक्रमण के पहले दौर में ही उपयोगी बताया था. उस समय से ही आर्सेनिक एल्बम बाजार से गायब होने लगी थी.
जाहिर है दवाओं की किल्लत तो दूर हो जाएगी लेकिन कोरोना को लेकर जो नई रिपोर्ट आई है वो डराने वाली है. कोरोना की दूसरी लहर के शांत होने के बाद जो तीसरी लहर आ रही हैं, वह और भी ज्यादा जानलेवा होगी. तीसरी लहर का संकट भी देश के सामने खड़ा हो गया है. तीसरी लहर में वायरस दो से तीन में ही मरीज को गम्भीर हालत में पहुंचा देगा और डॉक्टरों को मरीजों का इलाज करने तक का भी समय नहीं देगा.