शहाबुद्दीन को नहीं मिली बिहार जाने की इजाजत, कोर्ट ने दिया ये सुझाव

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सिटी पोस्ट लाइव : हत्या के मामले में सजायाफ्ता पूर्व सांसद शहाबुद्दीन परिवार से दिल्ली में ही मुलाकात कर सकता है। हाई कोर्ट ने उसकी याचिका पर यह सुझाव दिया है, क्योंकि दिल्ली सरकार और बिहार पुलिस ने उसकी सुरक्षा की जिम्मेदारी लेने में रुचि नहीं दिखाई।

शहाबुद्दीन ने हाई कोर्ट में अर्जी दायर कर हिरासत में पैरोल देने की मांग की थी। अर्जी में उसने कहा था कि पिता की मौत हो गई है और बिहार के सिवान स्थित अपने घर जाकर बीमार मां के साथ कुछ समय बिताना चाहता है। इस अर्जी पर हाई कोर्ट ने दिल्ली सरकार और बिहार पुलिस से जवाब मांगा था।

दिल्ली सरकार ने हाई कोर्ट को बताया कि शहाबुद्दीन को सिवान लेकर जाने में एक पूरी बटालियन की जरूरत पड़ेगी। मौजूदा हालात को देखते हुए ऐसा करना संभव नहीं है और ट्रेन का भी सामान्य संचालन नहीं हो रहा है। शहाबुद्दीन को 2018 में सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर सिवान से तिहाड़ जेल स्थानांतरित किया गया था।

दिल्ली और बिहार सरकार के वकीलों ने ‘कस्टडी पैरोल’ की स्थिति में भी शहाबुद्दीन की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए जस्टिस एजे भंभानी के समक्ष जरूरी आवश्यकताओं का जिक्र किया। दिल्ली सरकार के अतिरिक्त स्थायी वकील संजय लाव ने कहा कि बिहार में कैदी की सुरक्षा के लिए दिल्ली पुलिस को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता। उन्होंने कहा कि उन्हें बिहार ले जाना मुश्किल होगा, क्योंकि उनके साथ जाने के लिए पुलिस की एक पूरी बटालियन की जरूरत होगी और कोविड-19 महामारी के कारण ट्रेनें भी सामान्य रूप से नहीं चल रही हैं।

बिहार की ओर से पेश वकील केशव मोहन ने कहा कि शहाबुद्दीन को दिल्ली की तिहाड़ जेल में रखा गया है और दिल्ली को उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करनी चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि राहत प्रदान किए जाने की स्थिति में आवश्यक व्यवस्थाओं का ब्‍योरा नए हलफनामे में दायर किया जाएगा। सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति भंभानी ने कहा, ‘अदालत कैदी को परिवार में शोक जैसी स्थिति में ‘कस्टडी पैरोल’ देने पर विचार कर सकती है, लेकिन यहां मुद्दा यह है कि बिहार और दिल्ली सरकार दोनों सुरक्षा सुनिश्चित नहीं कर रहे हैं कि वह उनकी हिरासत में सुरक्षित रहेगा।

अदालत ने कहा कि वे यह सुनिश्चित करने के इच्छुक नहीं हैं कि वह उनकी हिरासत में सुरक्षित रहेगा। धमकी का तत्व वही है, आप छह घंटे के लिए कस्टडी पैरोल में जाएं या अधिक समय के लिए। क्यों नहीं आपका परिवार दिल्ली आकर आपसे मिल लेता है. दिल्ली में आपको एक अलग जगह दी जाएगी जहां आप अपने परिवार से मिल सकते हैं। शहाबुद्दीन की ओर से पेश वरिष्ठ वकील सलमान खुर्शीद ने कहा कि बिहार सरकार एक हलफनामे में कहे कि वह उनकी देखरेख और रक्षा नहीं कर सकते हैं। इसके बाद वह अदालत द्वारा सुझाए गए विकल्प पर विचार करेंगे। शहाबुद्दीन को ‘हिस्ट्रीशीटर टाइप ए’ या सुधार से परे घोषित किया गया था।

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