सिटी पोस्ट लाइव : सहारा इंडिया ने ये साफ़ कर दिया है कि उसके पास अपने पुराने निवेशकों को लौटाने को एक रुपया भी नहीं है.जाहिर है सहारा इंडिया में बिहार के गरीब लोगों ने अपने खून पसीने के सैकड़ों करोड़ जमा कर रखे हैं.लेकिन अब जब उन्हें अपने उस पैसे की दरकार है अपना ईलाज करवाने के लिए, अपनी बेटी की शादी के लिए तो सहारा लौटाने को तैयार नहीं है. दरअसल, सहारा का भी दोष नहीं है. उसके पास अपने कर्मचारियों को समय पर वेतन देने के लिए पैसा नहीं है फिर निवेशकों के सैकड़ों करोड़ लौटा दिए जाने की उम्मीद उससे करनी बेमानी है.
सहारा इंडिया द्वारा अखबारों में विज्ञापन देकर ये बताने के बाद कि उसके पास निवेशकों को देने के लिए पैसा नहीं है, पुरे बिहार झारखण्ड के कोने कोने से उसके निवेशकों के बीच हडकंप मच जाने की खबर आ रही है. सहारा इंडिया के दफ्तरों में सभी निवेशक पहुँचने लगे हैं और अपने पैसे की निकासी के लिए हंगामा करने लगे हैं.
लेकिन इस बीच सिटी पोस्ट लाइव की टीम ने बिहार सरकार के वित् विभाग से लेकर नॉन बैंकिंग से जुड़े सभी सरकारी दफ्तरों के अधिकारियों और कर्मचारियों से बातचीत कर ये पता करने की कोशिश किया कि अब जब फिरहाल सहारा इंडिया ने निवेशकों का पैसा लौटाए जाने से यह कहते हुए मना कर दिया है कि अभी उसके पास लौटाने के लिए पैसा नहीं है, ऐसे में सरकार क्या कारवाई कर सकती है? एक बड़े सरकारी अधिकारी ने अपना नाम गुप्त रखने की शर्त पर नॉन बैंकिंग कंपनियों के खेल और सूत्र समझाते हुए कहा कि सहारा का एजेंट तीन साल में दो गुना रकम लौटाने का वायदा कर बाज़ार से 100 रुपये लेता है तो कंपनी के दफ्तर में पहुँचता है 80 रुपया क्योंकि 20 से 30 रुपया एजेंट का कमीशन हो जाता है. आगे सहारा के दफ्तर के रखरखाव में खर्च हो जाता है 20 रुपया .यानी बाज़ार से लिया जाता है 100 रुपया और सहारा के अकाउंट में पहुँचता है सिर्फ 50 रुपया. कंपनी को निवेशक को लौटना है दो गुना यानी 200 रुपया. क्या ये किसी भी कंपनी के लिए संभव है 50 रुपये को 200 रुपये बनाकर निवेशकों को लौटा देना?
जाहिर ज्यादातर सरकारी बाबुओं का मानना है कि नॉन बैंकिंग कंपनियों से निवेशकों का पैसा वापस दिला पाना संभव नहीं है. ये कम्पनियाँ जबतक चलती रहती हैं यानी उनके अकाउंट में पैसा आता रहता है तबतक वो कुछ पैसे निवेशकों को दती भी रहती हैं .लेकिन जैसे ही नया पैसा आना बंद होता है, ये पैसा देना बंद कर देती हैं. आज की तारिख में भी सहारा बाज़ार से पैसा उठा रहा है, लोगों का ये कहना है लेकिन सिटी पोस्ट लाइव की रिपोर्ट के अनुसार समय के साथ आवक बहुत कम हो गई है नए निवेश की . ऐसे में सहारा इंडिया के पास उन लोगों को लौटने के लिए पैसा ही नहीं है, जिनका निवेश का समय पूरा हो चूका है और अब भुगतान का समय है.
जब सहारा पर निवेशकों का दबाव पेमेंट के लिए बढ़ने लगा और राज्य सरकार ने भी पेमेंट करने के लिए दबाव बनाना शुरू कर दिया तो फिर सहारा इंडिया ने अखबारों में आज 25 अगस्त को विज्ञापन प्रकाशित कर साफ़ कर दिया कि उसके पास अभी लौटाने के लिए पैसा नहीं है. यह पैसा कबतक होगा ये भी सहारा को पता नहीं फिर निवेशकों को वह कैसे बताये. जाहिर है सहारा इंडिया में कैश क्रंच की स्थिति है. बिहार के लाखों निवेशकों का पैसा लौट नहीं सकता. सरकार भी कुछ नहीं कर सकती. ऐसे में निवेशकों को सावधान हो जाना चाहिए . आगे निवेश करने से बचना चाहिए और जो कुछ निवेश कर चुके हैं उसे निकालने का प्रयास करना चाहिए.बिहार सरकार ने आज के अखबारों में सहारा इंडिया के प्रकाशित विज्ञापनों को बहुत गंभीरता से लिया है. उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ज्यादा ही गंभीर हैं. दरअसल, ये सुशील कुमार मोदी ही हैं, जिन्होंने सहारा इंडिया के पुराने निवेशकों की परेशानियों को गंभीरता से लिया है. जब उन्हें शिकायत मिली कि मैच्यूरिटी पर भी पैसे वापस नहीं किए जा रहे हैं, तो मोदी एक्शन मोड में आ गए. सहारा इंडिया को वार्निंग दी. भुगतान न करने पर कार्रवाई का सामना करने को कहा गया.
लेकिन अब सहारा इंडिया विज्ञापन छापकर परेशान निवेशकों से मुक्ति पाने में लगा है. कह रहा है, आप कुछ भी कर लो, अभी एक रुपये का भी भुगतान नहीं हो सकता. सो, चुपचाप वक्त आने का इंतजार करते रहो सहारा सुप्रीम कोर्ट और सेबी के एक्शन का हवाला दे रहा है. कह रहा है, 20 हजार करोड़ से अधिक की परिसंपत्ति है, लेकिन बेचकर निवेशकों को दे नहीं सकते. सक कुछ रोक रखा गया है. इसलिए, कैश क्रंच की स्थिति है.