बनते ही टूट रही सड़कें, सुशासन बाबू बन गए हैं उद्घाटन बाबू, चुनाव पर क्या होगा असर?

City Post Live

सिटी पोस्ट लाइव : बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार चुनाव से ठीक पहले दनादन उद्घाटन और शिलान्यास करने में जुटे हैं. 2020 बिहार विधानसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए नीतीश कुमार  विकास की झलक जनता को दिखाना चाहते हैं. लेकिन जिस विकास को दिखाने के लिए वो तड़ातड़ उद्घाटन किए जा रहे हैं उससे उनके सुशासन की पोल ही खुल रही है. लाखों-करोड़ों रुपये खर्च कर बनाई जाने वाली सड़कें मिट्टी में मिल जा रही हैं. फिर भी चुनावी मौसम में नीतीश कुमार अधूरे प्रोजेक्ट पर भी दांव खेल जा रहे हैं.

नंबर 1- अधूरी सड़क का भी उद्घाटन.

अब नीतीश कुमार बिहटा-सरमेरा रोड का उद्घाटन करनेवाले हैं.बिहटा से सरमेरा की सड़क का प्रोजेक्ट 92 किलोमीटर का है. लेकिन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इस सड़क के पूरा होने से पहले ही 66 किलोमीटर हिस्से का यानि डुमरी से सरमेरा तक की सड़क का उद्घाटन कर दिया. क्या उद्घाटन बाबू को ये लग रहा था कि चुनाव से पहले उनके अफसर 26 किलोमीटर की सड़क बना ही नहीं पाएंगे. अगर ऐसा नहीं है तो बिहटा-सरमेरा रोड के अधूरे हिस्से डुमरी-सरमेरा सड़क का उद्घाटन करने की ऐसी जल्दी क्या थी.

को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जिस सड़क का बुधवार उद्घाटन कर रहे थे वो कार्यक्रम से ठीक पहले ही टूट गई. छपरा में बंगरा घाट महासेतु की अप्रोच रोड ध्वस्त होने की खबर ने सभी को चौंका दिया. इस पुल की लागत 509 करोड़ रुपए है, जिसका सीएम नीतीश कुमार ने बुधवार को वीडियो कॉन्फ्रेसिंग के जरिए उद्घाटन किया था. जानकारी मिली कि बैकुंठपुर में सारण बांध टूटने की वजह से बंगरा घाट महासेतु की अप्रोच रोड कट गई. महासेतु की अप्रोच सड़क करीब 50 मीटर के दायरे में ध्वस्त हो गई..

गोपालगंज में भी यही हुआ था. बिहार के गोपालगंज में 264 करोड़ की लागत से बने पुल का एप्रोच रोड (Road Collapse in Bihar) महज 29 दिन में ही ध्वस्त हो गया. गंडक नदी के बढ़े जलस्तर और पानी के दबाव की वजह से सत्तरघाट महासेतु का एप्रोच रोड ढह गया. इससे पुल पर आवागमन पूरी तरह बाधित हो गया है. 16 जून को ही मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar Government) ने पटना से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए इस महासेतु का उद्घाटन किया था. उद्घाटन के 29 दिन बाद ही सड़क गंडक की गोद में समा गई.

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की चुनावी हड़बड़ी ने विपक्ष को बैठे-बिठाए मौका दे दिया. आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने सरकार को घेरते हुए कहा कि ‘लगातार पुल टूटने की घटनाएं सामने आ रही हैं. जनता का पैसा बर्बाद किया जा रहा है. पुल टूटने की घटनाएं साफ बता रही हैं कि राज्य सरकार में भ्रष्टाचार किस स्तर पर हो रहा है. लेकिन ना ही मुख्यमंत्री नीतीश कुमार नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए इस्तीफा दे रहे हैं और ना ही पथ निर्माण मंत्री नंदकिशोर यादव व्यवस्थाओं को सुधार रहे हैं. लगातार पुल टूटने की घटनाओं के बाद भी जिम्मेदार अधिकारियों पर कोई कार्रवाई नहीं हो रही है. मुझे लगता है कि नीतीश कुमार का वर्ल्ड रिकॉर्ड में नाम दर्ज होना चाहिए क्योंकि बिहार में लगातार पुल टूटने का मुख्यमंत्री रिकॉर्ड बना रहे हैं.

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की सबसे बड़ी यूएसपी सुशासन है.उनको लोग  सुशासन बाबू भी कहते हैं. नीतीश अपनी हर सभाओं में दावा करते हैं कि बिहार में गद्दी संभालने के बाद उनका सबसे ज्यादा फोकस सुशासन पर रहा. बात एक हद तक सही भी है. विकास के काम को लेकर भी नीतीश ने एक समय में खूब वाहवाही बटोरी. लेकिन लगता है कि 2020 में हवाएं उल्टी चल रही हैं. चुनावी साल में सुशासन बाबू सीधे उद्घाटन बाबू बन गए हैं. लेकिन जितनी तेजी से नीतीश सड़कों का उद्घाटन कर रहे हैं उतनी ही तेजी से ये टूट भी जा रही हैं. और तो और… हड़बड़ी में तो बुधवार को एक ऐसी सड़क का उद्घाटन कर दिया गया जो अभी तक तय दूरी तक बनी ही नहीं है.

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