सिटी पोस्ट लाइवः कोरोना के भीषण संकट काल में बिहार में होने वाले विधानसभा के चुनाव तय समय पर हो पायेंगे इसको लेकर अब भी संशय की स्थिति है। बिहार के तमाम विपक्षी दल चुनाव टालने की मांग करते रहे हैं। जबकि बीजेपी जेडीयू चुनाव के पक्ष में है। बीजेपी-जेडीयू की सहयोगी लोजपा के सुप्रीमो चिराग पासवान भी कह चुके हैं कि अगर इन परिस्थितियों में बिहार में चुनाव होते हैं तो एक बड़ी आबादी को खतरे में झोंकने जैसा होगा। अब आरजेडी ने चुनाव आयोग को पत्र लिखकर कई सवाल उठाये हैं। आरजेडी के राष्ट्रीय प्रधान महासचिव अब्दुल बारी सिद्धकी ने अपने पत्र के जरिए चुनाव आयोग से सवाल पूछा है कि आखिर जान की कीमत पर चुनाव कितना सही है।
चुनाव आयोग को लिखे पत्र में राजद ने कहा कि बिहार में बीजेपी के अध्यक्ष समेत 75 पार्टी के पदाधिकारी कोरोना संक्रमित पाए गए, जिस वजह से बीजेपी प्रदेश कार्यालय को सील किया गया।कोरोना के कारण कई राजनीतिक दलों के नेताओं की मृत्यु हुई है।ऐसे में हम चुनाव आयोग से जानना चाहेंगे कि बढ़ते संक्रमण के आंकड़ों के बीच क्या लोगों को संक्रमण से बचाने के अब तक के प्रयासों से चुनाव आयोग संतुष्ट है? अगर हां तो संतुष्ट होने के कारक और कारण नागरिकों को साझा किए जाएं… ताकि लोग भयमुक्त माहौल में लोकतंत्र के पर्व में शामिल हो सकें.अब्दुल बारी सिद्दिकी ने आगे लिखा है कि ऐसा अनुमान लगाया जा रहा है कि अक्टूबर-नवंबर में होने वाले बिहार विधानसभा चुनाव के समय तक बिहार में कोरोना से संक्रमित मरीजों की संख्या 10 लाख के आसपास होगी. इसके मद्देनजर लोगों के मन में चुनाव के दौरान कोरोना संक्रमण के विस्तार को लेकर अनेक प्रश्न उठ रहे हैं ।डब्लू एच ओ का भी मानना है कि अक्टूबर नवंबर महीने में संक्रमण उच्च स्तर पर होगा ।
हम चुनाव आयोग से यह भी जानना चाहेंगे कि आयोग की नजर में क्या बिहार में कोरोना की भयावह स्थिति है?अगर हां तो चुनाव कितना आवश्यक है? जिंदगी की कीमत पर बस रस्म अदायगी के लिए चुनाव कितना जरूरी है? अगर नहीं तो चुनाव पारंपरिक तरीके से हो जैसे अब तक होते रहे हैं ।लोगों की संपूर्ण भागीदारी और निर्वाचन के साथ सतत संवाद पहले की तरह सुनिश्चित किया जाए। चुनाव आयोग लोगों को भरोसा दिलाए व सुनिश्चित करें कि पूरी चुनाव प्रक्रिया कोरोना संक्रमण के महाविस्फोट की एक घटना न बन जाए, मतदान के दिन करोड़ों लोगों के घर से बाहर निकल मतदान केंद्र जाने के क्रम में संक्रमण बढ़ने का डर होगा। यदि मतदान बाद मतदाता संक्रमित हो जाते हैं और उनके साथ कोई अप्रिय घटना हो जाती है तो क्या चुनाव आयोग मतदाताओं का जीवन बीमा कराने के बारे में चिंतित है?