लालू के नाम पर आरजेडी लड़ रही चुनाव, राबड़ी ने संभाला है मोर्चा, पार्टी का प्लान समझिए….
सिटी पोस्ट लाइवः यह बिल्कुल स्पष्ट है कि राजद लोकसभा का चुनाव लालू के नाम पर लड़ रही है और चुनावो में लालू को भुनाने की कोशिश हो रही है। लालू की राजनीतिक साख के सहारे चुनावी जीत की राह आसान करने की राजद की रणनीति साफ दिखायी देती है साथ हीं लालू के नाम पर मिलने वाली सहानुभूति को वोटों में तब्दील करने की रणनीति पर भी राजद काम कर रही है इसलिए राबड़ी देवी ने अब मोर्चा संभाल लिया है।
राजद की ओर से चुनाव के लिए कई गाने तैयार करवाए गये हैं और दिलचस्प यह है कि उनमें चुनावी नारे नहीं है बल्कि लालू को लेकर बेहद भावुक तरीके से इन गानेां को तैयार किया गया है और दिखाने और बताने की कोशिश की गयी है कि लालू ने जो सामाजिक न्याय की लड़ाई लड़ाई उस वजह से उन्हें साजिश के तहत जेल में डाला गया।
राबड़ी देवी का एक दूसरा गाना भी आया है जिसमें यह कहा जा रहा है कि लालू जेल में हैं तो आम जनता तेजस्वी को अकेले कैसे छोड़ सकती है। राबड़ी देवी आपसे आंचल फैलाकर विनती कर रही हैं तेजस्वी का साथ दीजिए। मतलब बिल्कुल साफ है राजद यह चुनाव लालू के नाम पर हीं लड़ रहा है, लालू को लेकर लोगों को भावनात्मक तरीके से जोड़ने का प्रयास किया जा रहा है साथ हीं रणनीति यही है कि एक तरफ राजनीतिक विरोधियों पर आक्रामक हमला किया जाए तो दूसरी तरफ इस बार के चुनाव में भी राजद की ओर से लालू को हीं स्टार प्रचारक रहने दिया जाए। उनके नाम पर हीं वोट मांगे जाए, इसलिए गानों में लालू हैं, नारों में लालू हैं और भाषणों में लालू हैं।
जिन मुश्किलों में लालू और उनका परिवार घिरा है राजद की कोशिश उन्हीं मुश्किलों को चुनावी जीत का हथियार बनाने की है। इसलिए राजद दो प्रकार की रणनीति पर काम कर रही है। राजनीतिक विरोधियों पर आक्रामक तरीके से हमले की जिम्मेवारी तेजस्वी यादव संभाल रहे हैं और दूसरी तरफ भावनात्मक तरीके से लालू को लेकर एक सहानुभूति की लहर पैदा करने के लिए जो कुछ भी किया सकता है उसकी जिम्मेवारी बिहार की पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी संभाल रही है। लालू के नाम पर राजद को कितना फायदा होगा यह तो चुनावी नतीजे हीं तय करेंगे लेकिन विरोधियों का तर्क यही है कि लालू चाहे जेल में हों या बाहर हों कोई फर्क नहीं पड़ता।
बिहार के डिप्टी सीएम सुशील मोदी पहले हीं कह चुके हैं कि 2009 के लोकसभा चुनाव में लालू जेल से बाहर थे और पाटलीपुत्रा से जेडीयू के रंजन यादव से हार गये थे। राजद को तब मात्र 4 सीटें मिली थी। 2014 के चुनाव में भी लालू जेल से बाहर थे और उनकी बेटी मीसा भारती भी पाटलीपुत्रा से हार गयी थी। बहरहाल 2019 का चुनाव दूसरे चुनाव की तरह थोड़ा अलग जरूर है खासकर बिहार के लिए क्योंकि 44 वर्षों में पहला चुनाव है जब लालू की सीधी भूमिका इस चुनाव में नहीं है और वे जेल में हैं। राजद उनके नाम पर वोट मांग रही है, भावनात्मक तरीके से लोगों को राजद के साथ जोड़ने की कोशिश हो रही है इसलिए चुनाव के परिणाम यह भी तय करने वाले हैं कि राजद की यह रणनीति कितनी कारगर सिद्ध होती है।