सिटी पोस्ट लाइव : आरक्षण हमारा संवैधानिक अधिकार है. बाबा साहब भीमराव अंबेडकर ज्योतिबा फुले और पेरियार साहब के संघर्षों की बदौलत हमें आरक्षण मिली हैं । वर्तमान समय में संविधान विरोधी शक्तियां केंद्र और राज्य में स्थापित है जो अतिपिछड़ों, दलितों और पिछड़ों से आरक्षण को छीनने का प्रयास कर रही है। सामाजिक न्याय का मतलब केवल कुछ यादव, कुर्मी और कुशवाहा तक सीमित नहीं हैं. हिंदुस्तान में दलितों की आबादी 30 प्रतिशत है लेकिन एक भी दलित मुख्यमंत्री नहीं है.
सक्षम पिछड़ी जातियों को आरक्षण छोड़ना चाहिए.. पप्पू यादव को क्यों चाहिए आरक्षण. बिहार में 30 सालों से तथाकथित समाजिक न्याय की शक्तियां सरकार में हैं । लालू यादव और नीतीश कुमार ने आरक्षण को खत्म करने का काम किया हैं। उक्त बातें पप्पू यादव ने अंबेडकर शोध संस्थान में आयोजित संपूर्ण आरक्षण क्रांति विषय पर बोलते हुए कही। ये पप्पू यादव ने कहा कि ज्योतिबा फुले ने दलितों में अति पिछड़ों में शिक्षा का अलख जगाया था । लेकिन बिहार सरकार ने गरीबों और दलितों को शिक्षा से वंचित कर दिया ।
पिछड़े और दलित आज भी सामाजिक, आर्थिक और शैक्षणिक रूप से काफी पीछे हैं. बाल मजदूरी में सद्से ज्यादा पिछड़ी और दलित समुदाय के बच्चे हैं. इन बच्चों के शिक्षा, पोषण स्वास्थ्य और सुरक्षा के अधिकारों का हनन हो रहा है. दलितों का प्रतिनिधित्व उनके संख्या के अनुपात में होना चाहिए. पप्पू यादव ने आरक्षण की वकालत करते हुए पर कहा कि न्यायपालिका में आरक्षण को सुनिश्चित किया जाए. लोअर कोर्ट, हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में सभी पदों पर यूपीएससी के माध्यम से बहाली हो और उनमें पिछड़े और दलितों का आरक्षण सुनिश्चित हो और संवैधानिक संस्थाओं में उनका प्रतिनिधित्व हो सकें ।