सिटी पोस्ट लाइव : कोरोना वायरस की वैक्सीन बनाने के प्रयास दुनिया भर में चल रहे हैं.लेकिन जबतक ये आयेगें तबतक लाखों लोग अपनी जान गवां चुके होगें. जब तक वैक्सीन नहीं आ जाती है, तब तक वैज्ञानिक ऐसी दवा की भी खोज करने में लगे हुए हैं, जिससे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता (इम्यूनिटी) बढ़े और कोरोना वायरस कमजोर हो जाए. डेक्सामेथासोन, हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन और रेमडेसिविर जैसी दवाइयां कोरोना वायरस से लड़ने में कारगर साबित हुई हैं. इस बीच वैज्ञानिकों ने कोलेस्ट्रॉल की एक दवा को लेकर दावा किया है कि उससे कोरोना मरीजों का इलाज हो सकता है. उनका दावा है कि इस दवा के इस्तेमाल से महज पांच दिन में कोरोना वायरस खत्म हो जा रहा है.
दुनियाभर के वैज्ञानिक कोरोना वायरस पर रिसर्च कर रहे हैं.यरुशलम की हिब्रू यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर याकोव नहमियास और न्यूयॉर्क इकाहन स्कूल ऑफ मेडिसिन के डॉ. बेंजामिन टेनओवर पिछले तीन महीनों से कोरोना की दवा को लेकर शोध कर रहे थे और अब जाकर उन्हें सफलता मिली है. शोध में इन दो वैज्ञानिकों ने पाया कि कोलेस्ट्रॉल घटाने वाली दवा से कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों का इलाज हो सकता है.
कोलेस्ट्रॉल की इस दवा का नाम फेनोफाइब्रेट ( Fenofibrate) है. प्रयोगशाला में किए गए शोध के दौरान इस दवाई के सकरात्मक परिणाम मिले हैं. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, दोनों वैज्ञानिकों का मानना है कि उनके शोध से इस बात को समझने में मदद मिल सकती है कि आखिर हाई ब्लड शुगर और कोलेस्ट्रॉल वाले कोरोना संक्रमित मरीज उच्च जोखिम श्रेणी (हाई रिस्क कैटेगरी) में क्यों चले जाते हैं. दरअसल, दोनों वैज्ञानिक अध्ययन के दौरान यह समझने की कोशिश में लगे हुए थे कि कोरोना वायरस संक्रमित मरीज के फेफड़ों को कैसे प्रभावित करता है. इस दौरान उन्हें पता चला कि वायरस कार्बोहाइड्रेट की नियमित तौर पर होने वाली बर्निंग को रोक देते हैं, जिसकी वजह से काफी अधिक मात्रा में फैट फेफड़ों के सेल में जमा हो जाता है.
रिसर्च के दौरान पता चला कि फेनोफाइब्रेट दवा के इस्तेमाल से फेफड़ों के सेल्स अधिक मात्रा में फैट बर्न करते हैं, जिस वजह से कोरोना वायरस कमजोर पड़ जाता है और वो अपनी प्रतिकृति नहीं बना पाता यानी रिप्रोड्यूस नहीं कर पाता. प्रयोगशाला में किए गए इस शोध के मुताबिक, इस दवाई के इस्तेमाल से महज पांच दिन के इलाज के बाद वायरस अपने आप खत्म हो गए.इसी तरह की एक दवाई डेक्सामेथासोन भी है, जिसका इस्तेमाल सूजन कम करने के लिए किया जाता है. ब्रिटेन में हुए एक शोध के मुताबिक, कोरोनो से गंभीर रूप से संक्रमित मरीजों के लिए यह दवा जान बचाने वाली साबित हो रही है. शोध में यह पाया गया कि इस दवा के इस्तेमाल से वेंटिलेटर पर रखे गए मरीजों की मृत्युदर में 33.33 फीसदी की कमी और कम गंभीर लक्षणों वाले मरीजों की मृत्युदर में 20 फीसदी तक की कमी आई थी. खास बात ये है कि यह दवा बेहद ही सस्ती है और कोरोना वायरस के इलाज में असरदार भी. विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी इसे कोरोना के इलाज के लिए सबसे सुरक्षित और असरदार दवा माना है. डेक्सामेथासोन दवा वैसे तो बाजार में आसानी से उपलब्ध है, लेकिन सबसे जरूरी बात ये है कि इसे फिलहाल एक्सपेरिमेंटल यानी प्रयोगात्मक दवा का दर्जा ही मिला है. इसलिए बेहतर होगा कि बिना डॉक्टर ही सलाह के आप किसी भी दवा का सेवन न करें. यह आपकी परेशानियां को और बढ़ा सकता है.