ये कैसी व्यवस्था , जंग को जीतने से कम बड़ी चुनौती नहीं थी रेलवे की परीक्षा देना

City Post Live

सिटी पोस्ट लाइव  डेस्क :9 अगस्त को देश भर में रेलवे के लोको पायलट व टेक्नीशियन के पदों के लिए हुई  कम्प्यूटर बेस्ट परीक्षा के आंकड़े सामने आ गए हैं.इस आंकड़े के मुताबिक देश भर में 26% फिसद छात्र ट्रेन में जगह नहीं मिलाने की वजह से परीक्षा में शामिल ही नहीं हो पाए.इसकी असली वजह  ये थी कि जो स्पेशल ट्रेन की व्यवस्था उनके लिए की गई थी उसकी जानकारी उन्हें समय से नहीं मिली या फिर ये व्यवस्था नाकाफी साबित हुई.

इस परीक्षा में शामिल होने के लिए छात्रों को कड़ी मशक्कत  करनी पड़ी.  कई जगह सर्वर फेल होने की वजह से भी छात्रों को बहुत परेशानी हुई.कई जगहों पर इसकी वजह से परीक्षा ही नहीं हो पाई. अब वहां दोबारा परीक्षा ली जाएगी.यानी एकबार फिर से छात्रों को वहां जाना पड़ेगा.कहने के लिए रेलवे ने विशेष ट्रेने तो चला दी लेकिन ये प्रतीकात्मक कारवाई ही साबित हुई.लाखों छात्रों के लिए दो ट्रेन की व्यवस्था जिसमे मुश्किल पांच हजार से ज्यादा छात्र नहीं ठूंसे जा सकते थे.

सबसे बड़ा सवाल हजारों किलोमीटर दूर परीक्षा केंद्र होने की वजह से जो छात्र परीक्षा नहीं दे पाए ,उसके लिए कौन जिम्मेवार है? जो छात्र पहुंचे उन्हें भी फजीहत का सामना करना पड़ा.किसी के पास लौटने के लिए किराया नहीं था तो कुछ के पास खाने के लिए पैसे नहीं थे.छात्र भूखे प्यासे सड़क के किनारे सोते दिखे. सेंटर खोजने की जद्दोजहद करते दिखे तो  इतने दूर से आये कैंडिडेट को ये समझ में नहीं आ रहा था कि वो परीक्षा हॉल में जाने से पहले अपना बैग कहाँ रखें? परीक्षा केन्दों ने हाथ तक खड़े कर दिए और  अपने रिस्क पर छात्रों को 20 से 50 रुपये तक देना पड़ा बैग संभालने के लिए आसपास के दुकानदारों को .

कई केन्द्रों पर परीक्षा केंद्र के सर्वर फेल हो जाने को लेकर अफरा तफरी का माहौल रहा. परीक्षा निरस्त करनी पडी. तीन पालियों में सुबह 9 बजे से कम्प्यूटर बेस्ड परीक्षा  शुरू हुई .बेरोजगारी का आलम का देश में क्या है, इसका एक नजारा भी इस रेलवे की परीक्षा में देखने को मिला .

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