नेपाल के जनकपुर को बिहार के जयनगर से जोड़नेवाली रेल लाइन जल्द होगी शुरू
सिटी लाइव पोस्ट – लंबी दूरी का सफ़र भारत में ही नहीं अपितु विश्व में भी सबसे सुगम माना जाता है. अगर किसी सफ़र को तय करना हो तो हवाई जहाज के बाद इसे ही सबसे अधिक तेजी से गंतव्य तक पहूँचानेवाला सफ़र माना जाता है. लगभग सभी लोगों की यह पहली पसंद होती है.आनंद ,यात्रियों का सफ़र के दौरान तब और दूगूना हो जाता है जब ट्रेन पहाड़ के बीच से खूबसूरत वादियों से होकर गुजरती है.साथ ही अगर इसे व्यापारीक रूप से देखा जाय तो इससे सरल एवं सस्ता माल धुलाई का कोई दूसरा साधन नहीं है. इसे दो देशो के बीच आपसी रिश्ते सुधारने का भी एक सशक्त माध्यम माना जाता है.जो कई बार भारत पाकिस्तान के बीच भी शुरू किया गया है.
अब भारत सरकार इन्हीं सब बातों को ध्यान में रखकर दक्षिणपूर्वी नेपाल के जनकपुर को बिहार के जयनगर से जोड़ने जा रही है. इस 34 किलोमीटर लंबे रेल संपर्क के तैयार होने से कारोबार और तीर्थयात्रियों में और इजाफा होने की उम्मीद है. रेलवे की यह पहल दक्षिण एशिया में अपना प्रभाव जमाने की एक और कोशिश है, क्योंकि चीन अपनी बेल्ट और रोड पहल के लिए अरबों रुपये खर्च कर रहा है. उसका उद्देश्य इस पहल के जरिये अपने कारोबार को कई राष्ट्रों तक बढ़ाना है. नेपाल को प्रभावित करने के लिए दो एशियाई शक्तियों भारत और चीन में मची होड़ से इस हिमालयी राष्ट्र को पहली आधुनिक रेल लाइन के तौर पर तोहफे के रूप में बड़ा फायदा मिला है. भविष्य में उसे और सौगातें भी मिल सकती हैं.
जब इस बारे में एक किसान उदय यादव (35वर्ष ) से बात की गई तो उसने बताया कि वह उन अनेक लोगों में शामिल है जो रोजाना निर्माणाधीन जनकपुर रेलवे स्टेशन का दौरा कर वहां होनेवाली प्रगति का मुआयना करते हैं, जहां कारीगर संगमरमर के फर्श की घिसाई का काम कर रहे हैं, प्लेटफार्म पर टाइल्स बिछायी जा रही हैं, जबकि प्रतीक्षालय की दीवारों पर स्थानीय कलाकृति बनाई जा रही हैं. वहाँ के लोगों में इस बात को लेकर बेहद खुशी है.उन लोगों का कहना है कि -“हमलोगों को इससे सफ़र बेहद आसान हो जाएगा.हम लोगों के लिए यह बेहद खुशी की बात है.” आपको बताते चलें की यह परियोजना आठ करोड़ डॉलर की लागत से पूरा किया जा रहा है. इस परियोजना के पूरा होने के बाद इसे नेपाल के अन्दर विभिन्न जगहों तक पहूँचाने की योजना है.