सिटी पोस्ट लाइव :बिहार सरकार लंबे समय से खाली पड़े आयोग बोर्ड और निगम के पदों पर नियुक्ति की तैयारी में जुटी है. मंत्रिमंडल विस्तार के बाद NDA के नेताओं की नजरें इन पदों पर टिकी हुई हैं. खाली पड़े बोर्ड आयोग और निगम के पद कब भरेंगे, किनको कुर्सी मिलेगी ऐस सवाल का जवाब जानने के लिए हर कोई बेताब है. सूत्र बताते है की 15 जुलाई के पहले बिहार में खाली पड़े कई आयोग बोर्ड और निगम के पदों को भरा जा सकता है. इसके पीछे जो मकसद है वो है NDA की एकजुटता दिखाने से लेकर बेहतर काम करने वाले कार्यकर्ताओं को खुश करना.
सूत्रों से जो जानकारी मिल रही है उसके मुताबिक़ जुलाई महीने में कभी भी लगभग तीन दर्जन के आसपास महत्वपूर्ण बोर्ड आयोग और निगम को भरने की तैयारी शुरू हो चुकी है.बिहार में लगभग तीन दर्जन महत्वपूर्ण बोर्ड/आयोग और निगम खाली पड़े हैं. इसके साथ ही बीस सूत्री भी अभी खाली है. सूत्र बताते है की बिहार में कुछ प्रमुख आयोग और निगम के खाली होने पर विकास से लेकर दूसरे महत्वपूर्ण कार्य प्रभावित हो रहे हैं साथ ही विधानसभा चुनाव के समय से लेकर सरकार बनने के बाद NDA के महत्वपूर्ण नेताओ और कार्यकर्ताओं की उम्मीद पूरी नहीं हुई थी ऐसे में उन्हें भी बहुत जल्द संतुष्ट करने की कोशिश की जा सकती है. इसके साथ ही जिनकी नज़र MLC की कुर्सी पर थीं और नहीं मिली या फिर चुनाव हार गए उनके साथ-साथ जातीय समीकरण पर भी विशेष ख़्याल रखा जा सकता है.
बीजेपी और JDU के बीच बराबर-बराबर बंटवारा हो सकता है . JDU अपने कोटे से HAM और भाजपा अपने कोटे से मुकेश सहनी को दे सकती है. JDU के बीच 40=40 और मुकेश सहनी और मांझी की पार्टी को दस-दस प्रतिशत जगह मिल सकती है. आयोग के मेम्बर और बोर्ड के चेयरमैन का दर्जा राज्य स्तर के मंत्री के बराबर होता है और उन्हें भी लगभग वही सुविधा मिलती है. 2015 से बिहार में अधिकांश बोर्ड आयोग और निगम खाली पड़े हैं. कुछ महत्वपूर्ण बोर्ड आयोग और निगम जो ख़ाली हैं उनमें भोजपुरी अकादमी , महिला आयोग, महादलित विकास मिशन, मानवाधिकार आयोग, बाल अधिकार संरक्षण आयोग सहित अन्य विभाग भी है.