सिटी पोस्ट लाइव – प्रशांत किशोर के पार्टी बनाने की घोषणा से बिहार की सियासत गरमा गयी है कुते अज्ञात शव को नोच नोचकर खाते रहे यही नहीं कई युवा नेताओं को भी कांग्रेस में शामिल कराया था। इनमें से सबसे प्रमुख जेएनयू छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार और जिग्नेश मेवानी थे। जब बारी आई खुद प्रशांत किशोर की तो, प्रशांत किशोर कांग्रेस से अलग हो गए। लेकिन सवाल यह उठता है कि पीके के कहने पर कन्हैया और जिग्नेश कांग्रेस में गए तो अब उनका क्या होगा जाहिर सी बात है प्रशांत किशोर कोई भी कदम बहुत जल्दी बाजी में नहीं उठाते हैं।
पीके कांग्रेस में रहे या ना रहे, दोनों युवा नेता अपना लगातार यूथ कनेक्टिविटी का कार्यक्रम कर रहे हैं। बिहार से लेकर दिल्ली तक में कन्हैया का एक अलग युवा फॉलोअर हैं। वही गुजरात में जिग्नेश का अलग क्रेज है। ऐसे में इन दोनों नेताओं पर बहुत ज्यादा हर फर्क नहीं पड़ने वाला है कि प्रशांत किशोर कांग्रेस में रहे या ना रहे।
बेरोजगारी पर बात कर रहे है,
रवि उपाध्याय ने कहा, ‘प्रशांत किशोर अब तक अलग-अलग राजनीतिक दलों की रणनीति को बनाते रहे हैं लेकिन, अब उन्होंने राजनीति में अपनी पार्टी लाने की बात कही है। प्रशांत किशोर का यह पूरी तरह से लिटमस टेस्ट होगा। प्रशांत किशोर को अपने आप को साबित करना होगा। रही बात जिग्नेश और कन्हैया की तो जिग्नेश और कन्हैया जाति धर्म से अलग हटके वह आर्थिक न्याय पर बात कर रहे हैं। बेरोजगारी पर बात कर रहे है, उनके मुद्दे अलग हैं। भले प्रशांत किशोर ने इन दोनों नेताओं को सब्जबाग दिखाया था। लेकिन, इससे ज्यादा प्रभाव कन्हैया और जिग्नेश मेवानी पर नहीं पड़ने वाला है।