सिटी पोस्ट लाइव : भर्ष्टाचार और अपराध पर लगाम लगाने के लिए सरकारें कड़े से कड़े कानून बनाती रहती हैं लेकिन नतीजा हमेशा सिफार ही रहता है क्योंकि कड़े कानून का पालन करवाने की जिम्मेवारी ईमानदार हाथों में रहने की कोई गारंटी नहीं होती. ऐसे में अधिकारी कानून का अपने हिसाब से इस्तेमाल करता रहता है. जो कानून ईमानदार लोगों की सुरक्श की गारंटी नहीं देता, उस कानून का कोई मतलब नहीं रह जाता. अब बिहार सरकार बढ़ते अपराध पर लगाम लगाने के लिए पुलिस को बहुत ज्यादा अधिकार देने के लिए कानून बना रही है.इस कानून के अनुसार अब पुलिस किसी को बिना वारंट के गिरफ्तार कर सकती है. बिना वारंट तलाशी ले सकती है .इतना ही नहीं पुलिस अधिकारी अगर गिरफ्तारी के बाद प्रताड़ित करता है तो उसके खिलाफ भी बिना वरीय अधिकारी के परमिशन के कोर्ट संज्ञान नहीं ले पायेगा.
विपक्ष इसे काला कानून करार दे रहा है. आज जैसे ही सरकार ने विस के बजट सत्र में आज शुक्रवार को विशेष सशस्त्र पुलिस विधेयक- 2021 पेश किया, विपक्ष के तमाम विधायक हंगामा करने लगे. विपक्षी विधायकों ने नीतीश सरकार पर काला कानून थोपने और आवाज दबाने का आरोप लगाते हुए भारी हंगामा किया. विपक्षी सदस्य नीतीश तेरी तानाशाही नहीं चलेगी की नारेबाजी करते हुए हंगामा करने लगे. विपक्षी विधायक वेल में पहुंच कर विधेयक की कॉपी फाड़कर वेल में उझालने लगे. कई तो वेल में ही धरने पर बैठ गये.काफी समय तक हंगामा होते रहा.
नीतीश सरकार की तरफ से पुलिस के संबंध में जो बिल लाया गया है उसमें कई ऐसी बातें हैं जिससे पुलिस को और भी निरंकुश होने में सहायक सिद्ध होगी. विधि विभाग की तरफ से सदन में जो विधेयक पेश किया गया उसमें बिना वारंट गिरफ्तार करने की शख्ति दी गई है. बिना वारंट तलाशी लेने का अधिकार देने का प्रावधान किया गया है. इतना ही नहीं पुलिस अधिकारी अगर गिरफ्तारी के बाद प्रताड़ित करता है तो उसके खिलाफ भी बिना वरीय अधिकारी के परमिशन के कोर्ट संज्ञान नहीं लेगी.इस विधेयक में कोई भी विशेष सशस्त्र पुलिस अधिकारी प्रतिष्ठान की सुरक्षा की जवाबदेही होने पर बिना वारंट और बिना मजिस्ट्रेट की अनुमति के गिरफ्तार कर सकता है. ऐसे व्यक्ति को गिरफ्तार किया जा सकता है जो प्रतिष्ठान के किसी कर्मचारी या उसे या किसी विशेष सशस्त्र पुलिस अधिकारी को अपने कर्तव्य के निर्वहन या निष्पादन या रोकने या रोकने के इरादे से विरोध करता है या हमला करता है या प्रयास करता है,हमले का भय दिखाता है या बल प्रयोग करता है या धमकी देता है उसे इस अधिनियम में बिना वारंट गिरफ्तार किया जा सकता है.
नये अधिनियम के तहत अब पुलिस बिना वारंट के भी तलाशी ले सकती है. तलाशी वारंट अपराधी के भागने, साक्ष्य छुपाने के अवसर दिए बिना प्राप्त नहीं कह सकता, वह अपराधी को निरुद्ध कर सकता है और उसके शरीर और उसके वस्तुओं की तुरंत तलाशी ले सकता है. यदि वह उचित समझता है तो ऐसे किसी भी व्यक्ति को गिरफ्तार कर सकता है जिसके बारे में विश्वास है कि उसने अपराध किया है. दंड प्रक्रिया संहिता 1973 के अंतर्गत तलाशी से संबंधित प्रावधान तलाशी पर लागू होंगे. गिरफ्तारी के बाद उस व्यक्ति को निकटतम पुलिस स्टेशन तक ले जाया जाएगा.
जघन्य अपराधों के लिए दंड के लिए भी विस्तृत व्याख्या की गई है. विधेयक में जघन्य अपराध, अन्य जघन्य अपराधों के लिए दंड का प्रावधान किया गया है. इसके अलावा न्यायालय के द्वारा अपराध का संज्ञान लेने की प्रक्रिया के बारे में भी उल्लेख किया गया है. इसके तहत इस अधिनियम में किसी भी अपराध का संज्ञान कोई भी न्यायालय नहीं लेगा जब आरोपित व्यक्ति एक विशेष सशस्त्र पुलिस अधिकारी है.सिवाय ऐसे अपराध से गठित तथ्यों की लिखित रिपोर्ट एवं सरकार द्वारा इस संबंध में अधिकृत पदाधिकारी की पूर्व मंजूरी पर कोर्ट संज्ञान लेगा. यानी पुलिस ने अगर आपके खिलाफ जुल्म किया और आपने कंप्लेन किया तो कोर्ट संज्ञान नहीं लेगा.जाहिर इस तरह के अधिकार मिलने से सीधे तौर पर मानवाधिकार का उलंघन होगा और पुलिस और भी निरंकुश हो जाएगी.