‘पीके’ ने कांग्रेस की लुटिया डुबोई? जिसे नीतीश ने नंबर 2 बनाया उसे औकात क्यों बता रही है जेडीयू?
सिटी पोस्ट लाइवः जेडीयू के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर की क्या जेडीयू से विदाई तय हो गयी है? यह सवाल इसलिए है कि जिस व्यक्ति को नीतीश कुमार ने पार्टी में नंबर 2 की हैसियत दी उस व्यक्ति को उन्हीं की पार्टी के कुछ नेता औकात बता रहे हैं। जेडीयू महासचिव आरसीपी सिंह प्रशांत किशोर का नाम लेना भी पसंद नहीं करते उनसे जुड़े सवाल के जवाब में यह कह देते हैं कि जिनका आप नाम ले रहे हैं (प्रशांत किशोर) वे तब पार्टी में नहीं थी जब बीजेपी के साथ जेडीयू ने दुबारा गठबंधन कियाा था। दरअसल एक इंटरव्यू के दौरान प्रशांत किशोर ने कहा है कि नीतीश कुमार ने जब महागठबंधन छोड़ा तो उनको दुबारा जनादेश लेना चाहिए था, चुनाव में जाना चाहिए था।
‘पीके’ के इस बयान के बाद जेडीयू के अंदर हीं मोर्चा खुल गया है। न सिर्फ आरसीपी सिंह बल्कि जेडीयू प्रवक्ता नीरज कुमार ने प्रशांत किशोर के बारे में यह तक कह दिया कि प्रशांत किशोर चुनावी रणनीतिकार रहे हैं लेकिन सिर्फ लैपटाॅप चलाने से चुनाव नहीं जीते जाते। वे सिर्फ जेडीयू के रणनीतिकार नहीं रहे हैं बल्कि विभिन्न राजनीतिक दलों के रणनीतिकार की भूमिका में रहे हैं और अगर कई बार सफल हुए हैं तो कई बार असफल भी साबित हुए हैं। पंजाब के मौजूदा मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंद्र सिंह ने उनकी सेवा लेने से मना कर दी थी, यही नहीं उन्होंने यूपी में कांग्रेस की लुटिया डुबा दी।
नीरज कुमार का यह बयान दो बातों की ओर इशारा करता है पहला यह कि जेडीयू ने यह संकेत साफ दे दिये हैं कि प्रशांत किशोर ने जो बयान दिया है वो उन पर भारी पड़ गया है और जेडीयू में उनकी राह आसान नहीं रही। संकेत यह भी है कि आरसीपी सिंह और नीरज कुमार जैसे नेताओं के बारे में यह आम धारणा है कि वे बिना नीतीश कुमार की मर्जी के नहीं बोलते इसलिए बहुत हद तक यह संभव हो कि नीतीश कुमार का भी प्रशांत किशोर का मोहभंग हो चुका है क्यांेकि ‘पीके’ के बयान ने एक तरह से चुनावी माहौल में पार्टी की असहजता बढ़ा दी है। यह भी साफ है कि जेडीयू यह भी जताना चाहती है कि प्रशांत किशोर जब बुरे दिन देख रहे थे यानि उनके हिस्से में लगातार कई असफलताएं आ रही थी तब जेडीयू ने उनकी मदद की उन्हें पार्टी में शामिल कियाा क्योंकि नीरज कुमार ‘पीके’ की पंजाब और यूपी की कथित असफलता का जिक्र कर यह संकेत तो दे हीं दिया है कि ‘पीके’ पर जेडीयू ने अहसान किया है।
दिलचस्प यह भी है कि प्रशांत किशोर के बयान पर जेडीयू के दूसरे प्रवक्ता अपनी प्रतिक्रिया देने से लगातार बच रहे हैं जबकि आरसीपी सिंह और नीरज कुमार बेहद हमलावर हैं तो क्या यह तय मान लिया जाना चाहिए कि प्रशांत किशोर की विदायी जेडीयू से तय है? क्योंकि तस्वीर बिल्कुल साफ है, एक बयान आया है उस बयान के बाद आरसीपी सिंह और नीरज कुमार जैसे नेता अपनी हीं पार्टी के उस नेता पर हमलावर हो गये हैं, मोर्चा खोल दिया है जिसे नीतीश कुमार ने पार्टी में नंबर दो की पोजिशन दी है और यह यकीन करना बहुत मुश्किल है बिना नीतीश कुमार की मर्जी के पार्टी के ये दोनों नेता बोल रहे हों। तो अगर यह बिहार के सीएम और पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष नीतीश कुमार की मर्जी से हो रहा है तो यह मान लिया जाना चाहिए कि जेडीयू से ‘पीके’ की विदाई का प्लाॅट तैयार किया जा चुका है।