संकट में है पटना, गायब हैं कमिश्नर साहेब, लोग खोज रहे हैं, कहां सो गए?
सिटी पोस्ट लाइव : पटना में त्राहिमाम मचा हुआ है. पिछले पांच दिनों से पटना पानी में डूबा हुआ है. राहत बचाव कार्य में NDRF और SDRF के जवान दिन रात जुटे हुए हैं. पटना DM हर जगह नजर आ रहे हैं. खुद मुख्यमंत्री राहत बचाव कार्य का जायजा ले रहे हैं. लेकिन एक साहब को सबकी नजरें खोज रही हैं लेकिन वो कहीं नजर नहीं आ रहे हैं. ये साहब पहले हमेशा सड़क पर ही हेलमेट और वाहन चेकिंग करते नजर आते थे. अपना सारा कामधाम छोड़कर दिन रात अति-क्रमण अभियान, वाहन चेकिंग अभियान को लीड करते, ये साहब नजर आते थे. लेकिन आज जब पटना डूब रहा है, तब साहब की सबसे ज्यादा जरुरत पटना को है. साहब सीन से गायब हैं. कहीं नजर नहीं आ रहे.
ये साहब कौन हैं अब आप समझ गए होगें. आपका अंदाजा क्या है- पटना कमिश्नर आनंद किशोर जी, तो आपका अंदाजा सही है. जब से पटना में जल जमाव का संकट पैदा हुआ है, कमिश्नर साहब कहीं नजर नहीं आये हैं. हर जगह डीएम साहब अकेले ही नजर आ रहे हैं. लोग सोशल मीडिया पर साहब को खोज रहे हैं. उन्हें खूब ट्रोल कर रहे हैं पटना के कमिश्नर कहां हैं, यह किसी को पता नहीं.
राजधानी वासी सबसे ज्यादा पटना के कमिश्नर को खोज रहे हैं. पांच दिनों बाद भी उनके नजर नहीं आने के बाद अब लोग सोशल साईट पर पूछने लगे हैं कि हमारे कमिश्नर साहब ठीक तो हैं न….पिछले पांच दिनों से वे कहीं दिख नहीं रहे….अचानक कहां गायब हो गए….? फेसबुक और ट्वीटर के माध्यम से राजधानी के लोग पटना के कमिश्नर का कुशल क्षेम ले रहे हैं. पूछ रहे कि क्या आपने कहीं कमिश्नर साहब को देखा है? अगर साक्षात नहीं देखा तो कहीं उनकी तस्वीर भी देखी है क्या…? लोग पूछ रहे कि वे टीवी या अखबार में भी पिछले पांच दिनों में दिखे हैं क्या….? इस तरह के सवाल सोशल साइट के माध्यम से पूछे जा रहे हैं.
दरअसल, कमिश्नर सोशल साईट पर ट्रोल हो रहे हैं. राजधानीवासी पूछ रहे हैं कि जो कमिश्नर बाइक का चालान काटने के लेकर दिन-दिनभर सड़कों पर घुमा करते थे वे अचानक कहां चले गए? जिस काम को पटना के डीएम, परिवहन विभाग के कर्मी और यातायात पुलिस कर सकती थी उसके लिए कमिश्नर साहब खुद सड़कों पर धूल फांक रहे थे, वैसे कर्मठ आयुक्त विपदा की घड़ी में अचानक कहां गायब हो गए? लोग पूछ रहे कि पटना डीएम के काम को खुद अपने मत्थे पर उठाने वाले कमिश्नर साहब डीएम को अकेले छोड़ कहां चले गए? डीएम साहब ट्रैक्टर पर बैठकर दिन रात आपदा पीड़ितों की सेवा में लगे हैं… क्या साहब को सिर्फ गाड़ी चेकिंग और तोड़फोड़ करने के लिए हीं पटना का कमिश्नर बनाया गया था? क्या उनकी यह जिम्मेदारी नहीं बनती कि वे भी आपदा की इस घड़ी में डीएम को मदद करते….
दरअसल, आज हर कोई एक दुसरे का काम कर रहा है. अपना काम कोई नहीं कर रहा. पुलिस का काम है ट्रैफिक व्यवस्था को दुरुस्त करना, लेकिन वह शराब पकड़ने में जुटी है. कमिश्नर का काम है विकास कार्यों को देखना लेकिन वो अपना काम छोड़कर वाहन चेकिंग अभियान में लगे रहते हैं. ऐसे जब पटना की जनता संकट में फंसी है तो सरकारी बाबुओं के कामकाज के तरीके पर सवाल उठा रही है.