सिटी पोस्ट लाइव : सुप्रीम कोर्ट के द्वारा आरक्षण को मौलिक अधिकार मानने से इनकार करने के बाद केन्द्रीय मंत्री और लोक जनशक्ति पार्टी के संरक्षक राम विलास पासवान ने फ्रंट फूट पर आ गए हैं.उन्होंने आरक्षण के मुद्दे पर सभी राजनीतिक दलों को एकजुट हो जाने का आह्वान किया है. उन्होनें कहा है कि आरक्षण के मुद्दे पर बार-बार उठ रहे विवाद को खत्म करने के लिए हम सब को मिलकर इसे 9वीं अनुसूची में शामिल करवाने पर जोर लगाना होगा. केन्द्रीय मंत्री रामविलास पासवान ने ट्वीट किया है-“ आरक्षण के मुद्दे पर बार-बार विवाद उठता रहता है.आरक्षण, बाबा साहेब आंबेडकर और महात्मा गांधी के बीच हुए पूना पैक्ट की उपज है. इसपर सवाल उठाना, पूना पैक्ट को नकारना है. मंडल कमीशन पर फैसला में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि अनुसूचित जाति/जनजाति के मामले का संबंध अस्पृश्यता से है”.
आरक्षण के मुद्दे पर बार बार विवाद उठता रहता है. आरक्षण, बाबा साहेब आंबेडकर और महात्मा गांधी के बीच हुए पूना पैक्ट की उपज है. इसपर सवाल उठाना, पूना पैक्ट को नकारना है. मंडल कमीशन पर फैसला में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि अनुसूचित जाति/जनजाति के मामले का संबंध अस्पृश्यता से है.उन्होनें कहा कि संविधान के मुताबिक अनुसूचित जाति/जनजाति पहले से ही पिछड़ा है.संविधान में प्रदत्त अधिकारों के तहत न सिर्फ अनुसूचित जाति/जनजाति बल्कि अन्य पिछड़े वर्ग और ऊंची जाति के गरीब लोगों को भी आरक्षण दिया गया है.
संविधान के मुताबिक अनुसूचित जाति/जनजाति पहले से ही पिछड़ा है. संविधान में प्रदत्त अधिकारों के तहत न सिर्फ अनुसूचित जाति/जनजाति बल्कि अन्य पिछड़े वर्ग और ऊंची जाति के गरीब लोगों को भी आरक्षण दिया गया है.रामविलास पासवान ने कहा कि लोक जनशक्ति पार्टी सभी राजनीतिक दलों से मांग करती है कि पहले भी आप सभी इस सामाजिक मुद्दे पर साथ देते रहे हैं, फिर से इकठ्ठा हों.बार-बार आरक्षण पर उठने वाले विवाद को खत्म करने के लिए आरक्षण संबंधी सभी कानूनों को संविधान की 9वीं अनुसूची में शामिल करने के लिए मिलकर प्रयास करें.
लोक जनशक्ति पार्टी सभी राजनीतिक दलों से मांग करती है कि पहले भी आप सभी इस सामाजिक मुद्दे पर साथ देते रहे हैं, फिर से इकठ्ठा हों.बार बार आरक्षण पर उठने वाले विवाद को खत्म करने के लिए आरक्षण संबंधी सभी कानूनों को संविधान की 9वीं अनुसूची में शामिल करने के लिए मिलकर प्रयास करें.गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को एक मामले की सुनवाई करते हुए आरक्षण को लेकर बड़ी टिप्पणी की. तमिलनाडु में NEET पोस्ट ग्रेजुएशन रिजर्वेशन मामले में अदालत ने कहा कि आरक्षण कोई बुनियादी अधिकार नहीं है. इसी के साथ अदालत ने तमिलनाडु के कई राजनीतिक दलों द्वारा दाखिल की गई एक याचिका को स्वीकार करने से इनकार कर दिया.दरअसल, DMK-CPI-AIADMK समेत अन्य तमिलनाडु की कई पार्टियों ने सुप्रीम कोर्ट में NEET के तहत मेडिकल कॉलेज में सीटों को लेकर तमिलनाडु में 50 फीसदी OBC आरक्षण के मामले पर याचिका दायर की थी. इसको लेकर सुप्रीम कोर्ट में गुरुवार को सुनवाई हुई थी.