विशेषः क्या 20 और 9 का फासला कांग्रेस-राजद की दोस्ती का परमामेंट फार्मूला है?

City Post Live - Desk

विशेषः क्या 20 और 9 का फासला कांग्रेस-राजद की दोस्ती का परमामेंट फार्मूला है?

सिटी पोस्ट लाइवः लंबी खींचतान के बाद महागठबंधन के दूसरे दर्जे के नेताओं ने जब सीट शेयरिंग की औपचारिक घोषणा की तो यह साफ हो गया कि राजद महागठबंधन के अंदर बड़े भाई की भूमिका में है। मनोज झा ने जैसे हीं यह एलान किया कि राजद 20 सीटों पर चुनाव लड़ेगी और कांग्रेस 9 सीटों पर तो बिहार की राजनीति के लिए और खासकर महागठबंधन के लिए यह सवाल बड़ा वाजिब हो गया कि क्या 20 और 9 के बीच जो फासला है वही असल फार्मूला है राजद कांग्रेस की दोस्ती का? सवाल यह भी कि क्या यह परमामेंट फार्मूला है और सीटों का यह फासला बिहार में राजद-कांग्रेस के बीच की राजनीतिक हैसियत का फासला भी है?

कांग्रेस को सिर्फ 9 सीटें मिलने से जितनी तकलीफ नहीं हुई होगी उससे ज्यादा राजद को खुद के लिए 20 सीट रख लेने से हुई होगी क्योंकि 20 और 9 के बीच का फर्क हीं बिहार में राजद-कांग्रेस के बीच की राजनीतिक हैसियत के फर्क को बताता है। कांग्रेस का दावा चाहे जो हो, जमीनी हकीकत चाहे जो हो लेकिन राजद ने कांग्रेस की जो हैसियत आंकी उसके हिसाब से सीटें थमा दी और कहा जा सकता है कि कांग्रेस को बैकफुट पर खेलने को मजबूर किया। जीत-हार से पहले कांग्रेस के लिए अपने हीं राजनीतिक खेमे महागठबंधन के अंदर हार जाने जैसा हीं था क्योंकि गांधी मैदान की जन आकांक्षा रैली में राहुल गांधी कहकर गये थे कि कांग्रेस फ्रंट फुट पर खेलती रही है और आगे भी खेलेगी। उन्हें शायद यह पता नहीं कि तेजस्वी यादव उनके इस डाॅयलाॅग को बड़बोलापन साबित कर देंगे। तेजस्वी यादव फ्रंटफुट से बैकफुट पर ले आए कांग्रेस को।

अगर सवाल यह है कि क्या 20 और 9 सीटों का जो फासला है वो राजद कांग्रेस के बीच दोस्ती का परमामेंट फार्मूला है? तो फिलहाल जवाब यही होना चाहिए कि न सिर्फ 9 और 20 का फासला राजद-कांग्रेस की दोस्ती का फार्मूला है बल्कि मौजूदा परिपेक्ष्य में यह भी साफ दिखायी देता है कि सीटों के बीच यह फासला कांग्रेस के लिए राजद से दोस्ती की जरूरी शर्त भी है। क्योंकि खबरें लगातार आ रही थी कि लालू यादव इससे ज्यादा देनें को तैयार नहीं थे उपर से 9 सीटों पर मानने और नहीं मानने को लेकर कांग्रेस को अल्टीमेटम भी दे दिया था साथ हीं यह संदेशा भी भिजवाया दिया था कि 9 सीटें मंजूर न हो तो कांग्रेस रास्ता नाप सकती है.

जाहिर है राजद ने बिल्कुल बेपरवाह होकर कांग्रेस के साथ डील की, उसकी नाराजगी, असंतोष की परवाह किये बिना खुद के लिए जो सीटों की संख्या तय की थी यानि 20 सीट रख ली और कांग्रेस को वही दिया जो देना चाहती थी उपर से तेजस्वी यादव ने ट्वीटर पर नसीहत भी दे दी कि क्षेत्रीय दलों का सम्मान कीजिए और लालच छोड़िए। अब इन शर्तों पर राजद-कांग्रेस की दोस्ती कब तक चलेगी यह कहा नहीं जा सकता लेकिन यह जरूर कहा जा सकता है कि कांग्रेस के लिए डगर आसान नहीं है क्योंकि राजद ने फार्मूला सेट कर दिया है और कम से कम बिहार में आगे भी महागठबंधन में कोई राजनीतिक हिस्सेदारी बंटेगी तो फार्मूला 20 और 9 जैसा हीं होगा। 2020 में विधानसभा चुनाव भी तो है।

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