सिटी पोस्ट लाइव : पश्चिम चंपारण के केसरिया स्थित बौद्ध स्तूप पिछले एक महीने से बारिश के पानी से घिरा हुआ है. जिसका नतीजा ये हुआ है कि बौद्ध स्तूप की चहारदीवारी का पूर्व-दक्षिण कोने का एक हिस्सा बाढ़ एवं बारिश के पानी के दबाव से ध्वस्त हो गया है. बताया जा रहा है कि 1200 मीटर लम्बी इस चहारदीवारी का लगभग 50 मीटर का हिस्सा ध्वस्त हुआ है. हालांकि बौद्ध स्तूप को इस चहारदीवारी के ध्वस्त होने से कोई नुकसान नहीं हुआ है.
बता दें पिछले दिनों बारिश और बाढ़ के पानी के कारण बौद्ध स्तूप परिसर में ढाई फीट से पांच फीट तक पानी है. जगह-जगह पुरातात्विक विभाग की ओर से खुदाई किये जाने के कारण परिसर के अन्दर कहीं-कहीं पांच से सात फीट तक पानी है. देखने से ऐसा लगता है जैसे समुन्द्र के बीच एक टीला खड़ा हो. वहीं गंडक नदी भी उफान पर है जिस कारण बौद्ध स्तूप भी बाढ की चपेट में है.
दरअसल गंडक नदी पर बना चम्पारण तटबंध के संग्रामपुर के भवानीपुर में टूटने से कई प्रखंडों में तबाही मची है. संग्रामपुर में तबाही मचाने के के बाद गंडक का पानी केसरिया प्रखंड के सभी 18 पंचायतों में फैला है. कोरोना संक्रमण के कारण पहले से ही बौद्ध स्तूप परिसर में पर्यटकों और आम लोगों के आने पर रोक लगा दी गई है. अब इसकी देख-रेख करने वाले पुरातात्विक विभाग के कर्मी और सुरक्षा गार्ड भी परिसर में बाढ़ आ जाने पर पलायन कर चुके हैं.