तीन माह में क्राइम कंट्रोल का पप्पू यादव का दावा, कहा -अपराधी सुधरेगें या मारे जायेगें

City Post Live

सिटी पोस्ट लाइव : बिहार में बढ़ते अपराध को लेकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की चिंता को जाप के नेता मधेपुरा सांसद पप्पू यादव ने तीन महीने में दूर कर देने का दावा किया है.पप्पू यादव ने कहा कि बिहार सरकार तीन महीने के  लिए अगर पुलिस को अपराधियों को देखते ही गोली मार देने का आदेश दे दे तो तीन महीने में बिहार बदल जाएगा. पप्पू यादव ने कहा कि  तो अपराधी बिहार छोड़ देगें या फिर मारे जायेगें. पप्पू यादव ने कहा कि वो तीन महीने में अपराध पर काबू पाने के अपने दावे का शपथ पत्र देने को तैयार हैं.अगर ऐसा नहीं हुआ तो वो राजनीति से सन्यास ले लेगें.पपू यादव ने कहा कि आजकल नेता अपराधियों को जात के नाम पर पनाह देने लगे हैं. उन्हें आइकॉन बनाने लगे हैं. इसे बंद कर वो शूट एंड साईट का आदेश पुलिस को दिया जाए तो अपराध नियंत्रण तुरत हो जाएगा.

गौरतलब है कि बिहार में बढ़ते अपराध से लोग हलकान हैं और फिर भी पुलिस मुख्यालय द्वारा अपराध नियंत्रण का दावा किया जा रहा है. अपराध को लेकर बिहार की राजनीति भी गरमा गई है. पप्पू यादव ने पुलिस के दावे को सफ़ेद झूंठ करार देते हुए कहा कि बिहार सरकार के वश की बात नहीं रह गई है. अगर उन्हें तीन महीने का मौका मिल जाए तो अपराधी या तो मारे जायेगें या फिर शांत हो जायेगें. गौरतलब है कि वैशाली जिले से पप्पू यादव को भी जान से मारने की धमकी अपराधी दे चुके हैं.

गौरतलब है कि  बढ़ते अपराध को लेकर जब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अपनी आँखें तरेरी तो पुलिस मुख्यालय ने आनन- फानन में एक प्रेस कांफ्रेंस किया और आंकड़े पेश कर अपराध में कमी आने का दावा पेश कर दिया.पुलिस मुख्यालय द्वारा दावा किया गया कि  पिछले साल के मुकाबले इस साल अपराध में कमी आई है. लेकिन अगर 2018 के आंकड़ों पर नजर डालें तो जनवरी से लेकर मई तक रेप और मर्डर जैसे गंभीर अपराधिक घटनाओं में कई गुना बढ़ोतरी हुई है. इसी सप्ताह मंगलवार से बुधवार के बीच बिहार में आधे दर्जन से ज्यादा हत्या और जानलेवा हमले की घटनाएं हो चुकी हैं.राजधानी पटना, गया और आरा में ताबड़तोड़ हत्या की घटनाएं दो दिनों के अन्दर हो चुकी हैं, सवाल ये उठता है कि जनता बढ़ते अपराध से त्राहिमाम कर रही है और ऐसे में पुलिस के अपराध नियंत्रण के दावे के बाद बिहार की जनता पुलिस से क्या उम्मीद कर सकती है?

सवाल ये भी उठ रहा है कि क्या बिहार में पुलिस का इकबाल खत्म होने लगा है?  राजधानी पटना के सबसे ज्यादा हाई सिक्यूरिटी जोन वाले ईलाके मोईनुल हक स्टेडियम इलाके में जहाँ सीआरपीएफ कैंप और पुलिस थाना है, वहीँ अपराधी हत्या जैसी वारदात को अंजाम दे दे रहे हैं. फिर भी अपराध नियंत्रित होने का आभास बिहार पुलिस मुख्यालय को हो रहा है.

पटना एसएसपी मनु महाराज दिनरात पसीना बहा रहे हैं. डीआइजी राजेश कुमार खुद सड़क पर उतर चुके हैं. आईजी नैय्यर हसनैन स्पेशल टास्क फाॅर्स के जरिये अपराध पर नियंत्रण की कोशिश में जुटे हैं फिर भी अपराधी बेख़ौफ़ क्यों हैं. पिछले एक महीने में राजधानी के कम से कम चार दारोगा सस्पेंड हो चुके हैं और दो थानों के पुलिसकर्मी लाइन हाजिर हो चुके हैं. इसके बावजूद राजधानी में अपराध नियंत्रण की कोशिश क्यों नाकाम हो रही है?

जब राजधानी पटना का ये हाल है तो बाकी जिलों में क्या हालात होगें इसका सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है. वैशाली, मुजफ्फरपुर, समस्तीपुर, बेगूसराय, आरा जैसे कई जिलों से हर दिन लूट, डकैती और मर्डर की खबरें सामने आ रही हैं. पटना के खाजेकलां में सरेआम दो दिन पहले एक व्यापारी की हत्या हो जाती है.उसी दिन आरा में घर में घूस कर एक युवक को गोली मार दी जाती है.गया में एक युवती की सरेआम हत्या कर दी जाती है. फिर भी पुलिस मुख्यालय अपराध नियंत्रण का दावा कर रहा है.

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