कड़े कानून से नहीं बल्कि मानसिकता बदलने से रुकेगा रेप : ओवैसी

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सिटी पोस्ट लाइव: लोकसभा में आज सोमवार को आपराधिक कानून (संशोधन) विधेयक 2018 पर चर्चा हुई. चर्चा के बाद इस विधेयक को लोकसभा में पारित कर दिया गया. इस विधेयक में 12 वर्ष से कम आयु की लड़कियों के साथ बलात्कार के दोषियों को कड़ी सजा, यहां तक कि मृत्युदंड तक का प्रावधान है. संशोधित विधेयक के संसद में पारित होने के बाद यह 21 अप्रैल को जारी किए गए आपराधिक कानून (संशोधन) अध्यादेश की जगह लेगा. देश के कई इलाकों में बच्चियों के साथ बलात्कार और फिर उनकी हत्या की घटनाओं के बाद यह अध्यादेश लागू किया गया था.

इस विधेयक पर सोमवार को चर्चा हुई. चर्चा के दौरान ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि किसी भी कानून से बच्चियों के साथ होने वाले बलात्कार या अन्य तरह की हिंसा को रोका नहीं जा सकता है, इसके लिए लोगों की मानसिकता में बदलाव लाना होगा. उन्होंने तर्क दिया कि देश में हर गलत काम को रोकने या उसकी सजा के लिए कानून हैं और काफी सख्त कानून हैं. लेकिन फिर भी अपराध के आंकड़ों में कोई कमी नहीं है. जैसे-जैसे हम आधुनिकता की ओर बढ़ रहे हैं, क्राइम का ग्राफ भी उसी तेजी से बढ़ रहा है. ओवैसी ने कहा कि इसके लिए लोगों की मानसिकता में बदलाव और जागरुकता एक अहम रोल अदा कर सकती है.

केंद्रीय मंत्री किरेन रिजीजू ने इस बिल पर चर्चा करते हुए कहा कि इस नए विधेयक में प्रावधान किया गया है कि बलात्कार के मामलों की सुनवाई महिला जज द्वारा की जाएगी और इस तरह के मामलों में पीड़िता का बयान भी महिला पुलिस अधिकारी द्वारा दर्ज किए जाएंगे.हालांकि सोमवार को लोकसभा और राज्यसभा में असम में नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजंस यानी एनआरसी की लिस्ट पर काफी हंगामा हुआ. दोनों ही सदनों की कार्रवाई प्रभावित रही. एनआरसी में 40 लाख लोगों को भारतीय नागरिकता नहीं मिली है. इस रजिस्टर में 2.89 करोड़ लोगों को राज्य में भारतीय नगरिक माना गया है.

जिस समय जम्मू में एक बच्ची के साथ हुए गैंगरेप और उसकी हत्या की घटना के बाद पूरे देश में तूफान मचा हुआ था. उस समय केंद्र सरकार ने इस तरह की घटनाओं पर लगाम लगाने के लिए एक अध्यादेश लागू किया था. अब इस अध्यादेश को कानून के रूप में मंजूरी के लिए संसद में बहस चल रही है. इस विधेयक में 12 वर्ष से कम आयु की लड़कियों के साथ बलात्कार के मामले में दोषियों को मौत की सजा देने तक का भी प्रावधान है. और महिलाओं से बलात्कार के मामले में न्यूनतम सजा सात वर्ष के सश्रम कारावास से बढ़ाकर 10 वर्ष कर दी गई है. 12 वर्ष से कम आयु की लड़कियों के साथ रेप में दोषी को न्यूनतम 20 वर्ष की जेल हो सकती है.

विधेयक में 16 वर्ष से कम उम्र की लड़कियों के साथ बलात्कार के मामले में न्यूनतम सजा को 10 वर्ष कैद से बढ़ाकर 20 वर्ष की गई है, जो उम्रकैद तक बढ़ सकती है. 16 वर्ष से कम आयु की लड़की के साथ रेप या गैंगरेप में आरोपी को अग्रिम जमानत दिए जाने का कोई प्रावधान नहीं होगा. विधेयक में बलात्कार के सभी मामलों की जांच के लिए समयसीमा भी निर्धारित की गई है, जिसका दो महीने में पूरा होना अनिवार्य होगा.

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