NIRF रैंकिंग में बिहार से मात्र 2 कॉलेज, IIT और NIT पटना शामिल.

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सिटी पोस्ट लाइव :शिक्षा के क्षेत्र में देश भर में अव्वल रहने वाले बिहार नेशनल इंस्टीट्यूशनल रैंकिंग फ्रेमवर्क(NIRF) के सर्वे के अनुसार बहुत पीछे चला गया है.नेशनल इंस्टीट्यूशनल रैंकिंग फ्रेमवर्क(NIRF) ने सत्र 2022 की रैंकिंग जारी कर दी है. देशभर के संस्थानों की रैंकिंग में बिहार के मात्र दो संस्थानों को ही जगह मिली है.ये दोनों इंजीनियरिंग सेक्टर के हैं. TOP-100 में बिहार से शामिल दो संस्थान IIT, पटना और NIT, पटना शामिल हैं.

IIT, पटना को 59वां स्थान मिला है जबकि इंजीनियरिंग की कैटेगरी में IIT पटना को 33वां स्थान और NIT पटना को 63वां स्थान मिला है.सरकार का सबसे ज्यादा जोर शिक्षा पर है. शिक्षा को बेहतर बनाने के लिए वित्तीय वर्ष 2022-23 में सरकार की तरफ से सबसे ज्यादा 39191.87 करोड़ रुपए के बजट का प्रावधान किया गया है.लेकिन नतीजा सिफर है.NIRF की रैंकिंग में राज्य से शामिल होने वाले दो मात्र संस्थान IIT, पटना और NIT पटना की स्थिति भी पिछले दो साल में खराब हुई हुई है. 2020 में इंजीनियरिंग की श्रेणी में जहां IIT, पटना 26वें स्थान पर था वो 2022 में खिसक कर 33वें स्थान पर पहुंच गया है. हालांकि NIT पटना की स्थिति में सुधार हुआ है. ये 93वें से बेहतर होकर 63वें स्थान पर पहुंचा है.

गौरतलब है कि NIRF की तरफ से हर साल 10 कैटेगरी में रैंकिंग जारी की जाती है। इसमें यूनिवर्सिटी, कॉलेज, इंजीनियरिंग, मेडिकल व ओवरऑल आदि शामिल है. इसमें इस बार मात्र तीन कैटेगरी में बिहार के संस्थान जगह बनाने में कामयाब हुए हैं. इसमें इंजीनियरिंग (IIT, NIT,पटना), फार्मेसी (नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फार्मास्यूटिकल एजुकेशन एंड रिसर्च, हाजीपुर) और आर्किटेक्चर (NIT, पटना) शामिल है.

बिहार में 17 स्टेट यूनिवर्सिटी है.पटना यूनिवर्सिटी का वार्षिक बजट लगभग 545 करोड़ और मगध यूनिवर्सिटी का सालाना बजट लगभग 650 करोड़ रुपए का है. इसके बाद भी ये यूनिवर्सिटी डर से आवेदन नहीं करती है. बिहार से आवेदन करने वाले ज्यादातर संस्थान सेंट्रल ही होते हैं.टीचिंग, लर्निंग और रिसोर्स (TLR)- इसके अंतर्गत 4 सब पैरामीटर होते हैं. पहला – स्टूडेंट्स की संख्या जिसमें पीएचडी वाले स्टूडेंट भी शामिल होते .।दूसरा – फैकल्टी और स्टूडेंट्स की संख्या का अनुपात, जिसमें परमानेंट फैकल्टी पर जोर होता है. तीसरा – PHD और अनुभव वाले शिक्षक। चौथा – आर्थिक रिसोर्स क्या, कितना है और उनका उपयोग किस तरह किया जा रहा है.

रिसर्च एंड प्रोफेशनल प्रैक्टिस (RP)- इसमें भी चार सब-पैरामीटर्स आते हैं. पहला – कितने जर्नल या शोध प्रकाशित हुए। उन प्रकाशित रिसर्च वर्क की गुणवत्ता कैसी है. तीसरा – कितने IPR और पेटेंट हुए हैं.कितने प्रकाशित हुए और कितने ग्रांट हुए. चौथा – प्रोफेशनल प्रैक्टिस और प्रोजेक्ट्स के फुटप्रिंट्स.

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